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कविताः सागर

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कविताः सागर *********** इतना शोर और कोलाहल समुद्र ने क्यों गर्जना मचाया अनगिनत  लहरें इसकी...   उठतीं..गिरतीं...भागतीं.. दौड़तीं... इस महाकाय में ही विलीन हो जातीं... कभी हवा के इशारों पर .. तो कभी ...

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कविताःपहचान
कविताःपहचान
सीमा प्रियदर्शिनी सहाय "Seema"
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लेखक के बारे में

बस अच्छा और बेहतरीन लिखना मेरी ख्वाहिश है।मैं लेखन और साहित्य के समुद्र में गहराई तक उतरना चाहती हूँ।

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Rachanaa
    21 जनवरी 2022
    बहुत सुंदर 🍫🍫🍫👌👌👌🌷🌷🌷
  • author
    श्वेता विजय mishra
    19 जनवरी 2022
    बहुत बहुत बेहतरीन शानदार सटीक रचना
  • author
    Sunanda Aswal
    11 जनवरी 2022
    वाहह एक एक शब्द झंकार 🌸🌸💖👌
  • author
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  • author
    Rachanaa
    21 जनवरी 2022
    बहुत सुंदर 🍫🍫🍫👌👌👌🌷🌷🌷
  • author
    श्वेता विजय mishra
    19 जनवरी 2022
    बहुत बहुत बेहतरीन शानदार सटीक रचना
  • author
    Sunanda Aswal
    11 जनवरी 2022
    वाहह एक एक शब्द झंकार 🌸🌸💖👌