मैं स्वभाव से कवि और लेखक दोनों ही हूँ। मेरे अंदर दोनों समान रूप में समाहित हैं। मैं जब कक्षा-7 में पढता था, तभी से कविताएँ करने लगा था। धार्मिक किताबें पढने का शौक सदा रहा है। अध्यात्म में रुचि गहरी रही है। मैंने "प्रेम" खंडकाव्य लिखा और श्री मद् भगवत् गीता का पद्यानुवाद भी किया है जो 14 नवम्बर 2021 को वारिस पब्लिकेशन नई दिल्ली से प्रकाशित हो चुकी है। इसके अलावा कई नाटक, कहानियाँ, लेख भी लिखे हैं। बाल कहानी संग्रह और बाल कविता संग्रह और गीत संग्रह भी लिखे हैं तथा एकांकी नाटक और उपन्यास वेदना भी लिखा है। प्रेम गीतकाव्य 112 छंदों में प्रेस में है। नाटक-नया मेहमान और वीर हरदौल तथा एकांकी नाटक- गुदड़ी का लाल, कृष्णावतार, तीन पग पृथ्वी प्रसिद्ध हैं। योग - ध्यान की सबको सलाह देता हूँ, यदि स्वस्थ और सुखी रहना है तो आज और यहीं जियें............
रिपोर्ट की समस्या
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