pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

कागज़ की नाव

4.9
767

शान्ति जी बालकनी में बैठी थी। बाहर झमाझाम बारिश हो रही थी। बहुत सुहाना मौसम था।तभी उनकी पौत्रवधू नायरा चाय लेकर बालकनी मे आती है। "दादी चाय और गरमा गरम पकौड़े खाइये। मैंने बनाये है अपने हाथो से।" ...

अभी पढ़ें
खुशियों वाला सावन
पुस्तक का अगला भाग यहाँ पढ़ें खुशियों वाला सावन
प्रीति गोयल
4.9

रात के आठ बजे थे। केशव अपने ऑफ़िस मे बैठा कुछ जरूरी फ़ाईल निपटा रहा था। तभी उसके मोबाइल पर एक फोन आता है, " आप केशव बोल रहे है," दूसरी तरफ से अन्जानी आवाज़ सुन कर केशव चौंकते हुए बोला, " जी हाँ, बोल ...

लेखक के बारे में
author
प्रीति गोयल
समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Risha Gupta
    25 नवम्बर 2022
    बहुत भावुक और मार्मिक, दिल भर आया 👍👍👏👏👌🏻👌🏻👌🏻
  • author
    Preeti Manoj Tamrakar
    16 जुलाई 2020
    मर्मस्पर्शी कहानी।अच्छा लिखा है आपने।
  • author
    Ankita
    16 जुलाई 2020
    heart touching story 🥺🥺
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Risha Gupta
    25 नवम्बर 2022
    बहुत भावुक और मार्मिक, दिल भर आया 👍👍👏👏👌🏻👌🏻👌🏻
  • author
    Preeti Manoj Tamrakar
    16 जुलाई 2020
    मर्मस्पर्शी कहानी।अच्छा लिखा है आपने।
  • author
    Ankita
    16 जुलाई 2020
    heart touching story 🥺🥺