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जुलूस-जुलूस

4.7
7020

पूर्ण स्वराज्य का जुलूस निकल रहा था। कुछ युवक, कुछ बूढ़े, कुछ बालक झंडियाँ और झंडे लिये वंदेमातरम् गाते हुए माल के सामने से निकले। दोनों तरफ दर्शकों की दीवारें खड़ी थीं, मानो उन्हें इस लक्ष्य से कोई ...

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जुलूस-2
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मुंशी प्रेमचंद
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इस मार-धाड़ की खबर एक क्षण में बाजार में जा पहुँची। इब्राहिम घोड़े से कुचल गये, कई आदमी जख्मी हो गये, कई के हाथ टूट गये; मगर न वे लोग पीछे फिरते हैं और न पुलिस उन्हें आगे जाने देती है। मैकू ने ...

लेखक के बारे में

मूल नाम : धनपत राय श्रीवास्तव उपनाम : मुंशी प्रेमचंद, नवाब राय, उपन्यास सम्राट जन्म : 31 जुलाई 1880, लमही, वाराणसी (उत्तर प्रदेश) देहावसान : 8 अक्टूबर 1936 भाषा : हिंदी, उर्दू विधाएँ : कहानी, उपन्यास, नाटक, वैचारिक लेख, बाल साहित्य   मुंशी प्रेमचंद हिन्दी के महानतम साहित्यकारों में से एक हैं, आधुनिक हिन्दी कहानी के पितामह माने जाने वाले प्रेमचंद ने स्वयं तो अनेकानेक कालजयी कहानियों एवं उपन्यासों की रचना की ही, साथ ही उन्होने हिन्दी साहित्यकारों की एक पूरी पीढ़ी को भी प्रभावित किया और आदर्शोन्मुख यथार्थवादी कहानियों की परंपरा कायम की|  अपने जीवनकाल में प्रेमचंद ने 250 से अधिक कहानियों, 15 से अधिक उपन्यासों एवं अनेक लेख, नाटक एवं अनुवादों की रचना की, उनकी अनेक रचनाओं का भारत की एवं अन्य राष्ट्रों की विभिन्न भाषाओं में अन्यवाद भी हुआ है। इनकी रचनाओं को आधार में रखते हुए अनेक फिल्मों धारावाहिकों को निर्माण भी हो चुका है।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Abdul Aziz
    26 मई 2020
    aaj bhi bilbar zinda hai par uska zameer mar gaya hai aur who lakhon ki tadat me panap rahi hai aaj bhi hindstani apne hi bhaiyon se ase hi peat raha hai Azaad ho gai par lagta hai ki serf hukmran badla hai vyavastha nahi 😠
  • author
    Satyendra Yadav
    24 जून 2021
    अप्रतिम,,,,प्रेमचंद साहित्य मोतियों की एक माला की तरह है,जिसका हर मोती नायाब,अनूठा,ओर दूसरे से जुदा,,
  • author
    Richa Yadav
    17 मार्च 2020
    मुंशी जी की काहनियो की समीक्षा करणे की औ कात ही नहि है मेरी
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    Abdul Aziz
    26 मई 2020
    aaj bhi bilbar zinda hai par uska zameer mar gaya hai aur who lakhon ki tadat me panap rahi hai aaj bhi hindstani apne hi bhaiyon se ase hi peat raha hai Azaad ho gai par lagta hai ki serf hukmran badla hai vyavastha nahi 😠
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    Satyendra Yadav
    24 जून 2021
    अप्रतिम,,,,प्रेमचंद साहित्य मोतियों की एक माला की तरह है,जिसका हर मोती नायाब,अनूठा,ओर दूसरे से जुदा,,
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    Richa Yadav
    17 मार्च 2020
    मुंशी जी की काहनियो की समीक्षा करणे की औ कात ही नहि है मेरी