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हिन्दी

जिहाद-जिहाद

4.5
20719

बहुत पुरानी बात है। हिंदुओं का एक काफ़िला अपने धर्म की रक्षा के लिए पश्चिमोत्तर के पर्वत-प्रदेश से भागा चला आ रहा था। मुद्दतों से उस प्रांत में हिंदू और मुसलमान साथ-साथ रहते चले आये थे। धार्मिक द्वेष ...

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जिहाद-2
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मुंशी प्रेमचंद
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धर्मदास पानी लेकर लौट ही रहा था कि उसे पश्चिम की ओर से कई आदमी घोड़ों पर सवार आते दिखायी दिये। जरा और समीप आने पर मालूम हुआ कि कुल पाँच आदमी हैं। उनकी बंदूक की नलियाँ धूप में साफ चमक रही थीं। धर्मदास ...

लेखक के बारे में

मूल नाम : धनपत राय श्रीवास्तव उपनाम : मुंशी प्रेमचंद, नवाब राय, उपन्यास सम्राट जन्म : 31 जुलाई 1880, लमही, वाराणसी (उत्तर प्रदेश) देहावसान : 8 अक्टूबर 1936 भाषा : हिंदी, उर्दू विधाएँ : कहानी, उपन्यास, नाटक, वैचारिक लेख, बाल साहित्य   मुंशी प्रेमचंद हिन्दी के महानतम साहित्यकारों में से एक हैं, आधुनिक हिन्दी कहानी के पितामह माने जाने वाले प्रेमचंद ने स्वयं तो अनेकानेक कालजयी कहानियों एवं उपन्यासों की रचना की ही, साथ ही उन्होने हिन्दी साहित्यकारों की एक पूरी पीढ़ी को भी प्रभावित किया और आदर्शोन्मुख यथार्थवादी कहानियों की परंपरा कायम की|  अपने जीवनकाल में प्रेमचंद ने 250 से अधिक कहानियों, 15 से अधिक उपन्यासों एवं अनेक लेख, नाटक एवं अनुवादों की रचना की, उनकी अनेक रचनाओं का भारत की एवं अन्य राष्ट्रों की विभिन्न भाषाओं में अन्यवाद भी हुआ है। इनकी रचनाओं को आधार में रखते हुए अनेक फिल्मों धारावाहिकों को निर्माण भी हो चुका है।

समीक्षा
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  • author
    Chandan Chourasiya
    28 ডিসেম্বর 2018
    मुंशी प्रेमचन्द जी ने हकीकत बया की है आज इस्लाम के चलते अन्य धर्मों के लोगो का जीना मुश्किल हो गया है। जय हिंद जय माँ भारत
  • author
    Pramod Kaiwart
    04 অগাস্ট 2018
    भारत का बटवारा ऐसे हजारो हिंदुओं के रक्त से सना हुआ है। जिस पर लिखने पर आज के लेखकों की कलम टूटती है। धन्यवाद प्रेमचंद जी
  • author
    Jyoti Bajpai
    04 সেপ্টেম্বর 2018
    Secularism ke Muh par tamacha h ye rachna . Pahle bhi yahi hota tha aaj bhi yahi ho raha h.
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    Chandan Chourasiya
    28 ডিসেম্বর 2018
    मुंशी प्रेमचन्द जी ने हकीकत बया की है आज इस्लाम के चलते अन्य धर्मों के लोगो का जीना मुश्किल हो गया है। जय हिंद जय माँ भारत
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    Pramod Kaiwart
    04 অগাস্ট 2018
    भारत का बटवारा ऐसे हजारो हिंदुओं के रक्त से सना हुआ है। जिस पर लिखने पर आज के लेखकों की कलम टूटती है। धन्यवाद प्रेमचंद जी
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    Jyoti Bajpai
    04 সেপ্টেম্বর 2018
    Secularism ke Muh par tamacha h ye rachna . Pahle bhi yahi hota tha aaj bhi yahi ho raha h.