मनीष एक पढ़ा-लिखा, जोशीला, युवा किसान है और वह अपने गांव और गांव के अन्य युवाओं को भी नई तकनीक से जोड़ कर अपने गांव के युवाओं को पलायन करने से रोकना चाहता है। इसीलिए वह हमेशा नई-नई तकनीकों ...
बेहद खूबसूरत रचना 👌किसी भी समस्या के आने पर सामूहिक रूप से काम करना "हलमा "शब्द ही बेहद खूबसूरत हैं। बस कुछ कर गुजरने का जुनून होना चाहिए फिर असंभव शब्द उनके जीवन में कोई महत्व नही रखता। महेश जी का जीवन समाज को एक दिशा प्रदान करता है। ऐसे समाज सेवी के जीवन के बारे में विस्तार से जानकारी देने के लिए हृदयतल से आभारी हैं।
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14 मार्च, 1957 को बेहद गरीब परिवार में जन्में पद्मश्री महेश शर्मा जी ने एक लंबा संघर्ष किया है, समाज एवं देश को एक नई दिशा देने के लिए। उन्होंने एक आइडिया को जन आंदोलन में बदला और उस क्षेत्र की किस्मत बदल दी। ' हलमा ' और ' शिव गंगा ' जैसे अभियान को जमीन पर लाकर उन्होंने एक मिसाल कायम की है। इतने सालों से निःस्वार्थ जन सेवा करना और प्रकृति एवं समाज को बचाना अपने आप में बड़ी उपलब्धि है। ऐसे विभूतियों को किसी अवॉर्ड की आवश्यकता नहीं पड़ती। ऐसे चंद लोगों ने ही हमें, कृषि एवं पर्यावरण तथा प्रकृति को बचा कर रखा है। ऐसे लोगों के लिए सर सम्मान से स्वतः झुक जाता है।🙏🙏🙏
मैम, आपने मनीष जैसे युवा किसान को एक फ्रेम में रखा है जो खुद प्रेरणादाई है। आज के लोगों को तो बस सरकारी नौकरी ही चाहिए, और किसान होना जैसे वे अपमान समझते हैं। आपने युवा किसान कह इस कार्य को एक सम्मान दिया है, इसके लिए आपको साधुवाद!
आपकी लेखनी में एक सहजता एवं प्रवाह है जो पाठकों को अंत तक बांधे रखती है। आपको एक सार्थक रचना के लिए बधाई💐💐💐।
और, अंत में मानस कल्पी को ऐसे विचार एवं कृति हेतु धन्यवाद!🙏🙏🙏💐💐💐
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bahut he behtreen story ko aap sabme yaha prastut kiya...log aise bahut logo ki jivani nhi jante jo true inspirational hai..👍👍jab kuch gujarne ka jajba ho or samaj ke sath prakrti ke liye bhi kuch krna ho to sari badhaye apne aap he dur ho jati hai..ek dusre ki madd se hum ek badlaw la he skte hai...bahut badiya lga read kr ke..👌👌👌💐💐💐
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मैम, आपने मनीष जैसे युवा किसान को एक फ्रेम में रखा है जो खुद प्रेरणादाई है। आज के लोगों को तो बस सरकारी नौकरी ही चाहिए, और किसान होना जैसे वे अपमान समझते हैं। आपने युवा किसान कह इस कार्य को एक सम्मान दिया है, इसके लिए आपको साधुवाद!
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