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जहाँआरा-जहाँआरा

4.5
5239

यमुना के किनारेवाले शाही महल में एक भयानक सन्नाटा छाया हुआ है, केवल बार-बार तोपों की गड़गड़ाहट और अस्त्रों की झनकार सुनाई दे रही है। वृद्ध शाहजहाँ मसनद के सहारे लेटा हुआ है, और एक दासी कुछ दवा का ...

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जहाँआरा-2
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जयशंकर प्रसाद
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तख्त-ताऊस पर वृद्ध शाहजहाँ बैठा है, और नकाब डाले जहाँआरा पास ही बैठी हुई है, और कुछ सरदार-जो उस समय वहाँ थे-खड़े हैं; नकीब भी खड़ी है। शाहजहाँ के इशारा करते ही उसने अपने चिरभ्यस्त शब्द कहने के लिए ...

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जयशंकर प्रसाद
समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    बहुत सुंदर साहित्य
  • author
    23 अप्रैल 2020
    त्याग की देवी
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    बहुत सुंदर साहित्य
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    23 अप्रैल 2020
    त्याग की देवी