जब बचपन में ही पचपन के "जीने के सलीके" मिल जाएं...
तो ये जिन्दगी मुझे सिखाने के लिए तेरे पास कुछ भी शेष नही रह जाता...!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
मेरे दादाजी आज भी जीवित है,
मेरे विचारो में, मेरे संस्कारों में, मेरी प्रेरणा बनकर...!!!!!!!!!!!
उनके द्वारा दिएं रास्तों पर मैं आज भी चलती हूँ,
उनके विचारों पर चलना ही मेरे जीवन का उद्देश्य है...!!!!!!
Student of Computer Science
Burhanpur Madhya Pradesh
प्रतिलिपि शुरुआत:- 10/4/2020
रिपोर्ट की समस्या
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