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हिन्दी

ईदगाह-ईदगाह

4.6
21048

रमजान के पूरे तीस रोजों के बाद ईद आयी है। कितना मनोहर, कितना सुहावना प्रभाव है। वृक्षों पर अजीब हरियाली है, खेतों में कुछ अजीब रौनक है, आसमान पर कुछ अजीब लालिमा है। आज का सूर्य देखो, कितना प्यारा, ...

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ईदगाह-2
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मुंशी प्रेमचंद
4.8

नमाज खत्म हो गयी है। लोग आपस में गले मिल रहे हैं। तब मिठाई और खिलौने की दूकान पर धावा होता है। ग्रामीणों का यह दल इस विषय में बालकों से कम उत्साही नहीं है। यह देखो, हिंडोला है एक पैसा देकर चढ़ जाओ। ...

लेखक के बारे में

मूल नाम : धनपत राय श्रीवास्तव उपनाम : मुंशी प्रेमचंद, नवाब राय, उपन्यास सम्राट जन्म : 31 जुलाई 1880, लमही, वाराणसी (उत्तर प्रदेश) देहावसान : 8 अक्टूबर 1936 भाषा : हिंदी, उर्दू विधाएँ : कहानी, उपन्यास, नाटक, वैचारिक लेख, बाल साहित्य   मुंशी प्रेमचंद हिन्दी के महानतम साहित्यकारों में से एक हैं, आधुनिक हिन्दी कहानी के पितामह माने जाने वाले प्रेमचंद ने स्वयं तो अनेकानेक कालजयी कहानियों एवं उपन्यासों की रचना की ही, साथ ही उन्होने हिन्दी साहित्यकारों की एक पूरी पीढ़ी को भी प्रभावित किया और आदर्शोन्मुख यथार्थवादी कहानियों की परंपरा कायम की|  अपने जीवनकाल में प्रेमचंद ने 250 से अधिक कहानियों, 15 से अधिक उपन्यासों एवं अनेक लेख, नाटक एवं अनुवादों की रचना की, उनकी अनेक रचनाओं का भारत की एवं अन्य राष्ट्रों की विभिन्न भाषाओं में अन्यवाद भी हुआ है। इनकी रचनाओं को आधार में रखते हुए अनेक फिल्मों धारावाहिकों को निर्माण भी हो चुका है।

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Manju Singh
    29 सितम्बर 2018
    कितनी भी आयु हो जाए यह कहानी पढ़कर रोना आ ही जाता है।धन्य हैं प्रेमचंद ।
  • author
    अनुराग tripathi
    19 जुलाई 2018
    तारीफ़ से भरे सभी शब्दों से ऊपर है ये कहानी और मैं उसी जिले का निवासी जिस ईदगाह की ये कहानी है।
  • author
    Devam Patel "आदर्श"
    30 सितम्बर 2018
    ये कहानी मैंने क्लास 6 में पढ़ी थी आज फिर से पढ़ कर याद ताजा हो गयी उत्कृष्ट रचना
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    Manju Singh
    29 सितम्बर 2018
    कितनी भी आयु हो जाए यह कहानी पढ़कर रोना आ ही जाता है।धन्य हैं प्रेमचंद ।
  • author
    अनुराग tripathi
    19 जुलाई 2018
    तारीफ़ से भरे सभी शब्दों से ऊपर है ये कहानी और मैं उसी जिले का निवासी जिस ईदगाह की ये कहानी है।
  • author
    Devam Patel "आदर्श"
    30 सितम्बर 2018
    ये कहानी मैंने क्लास 6 में पढ़ी थी आज फिर से पढ़ कर याद ताजा हो गयी उत्कृष्ट रचना