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हिन्दी

गुल्‍ली - डंडा-गुल्‍ली - डंडा

4.7
11803

हमारे अँग्रेजी दोस्त मानें या न मानें मैं तो यही कहूँगा कि गुल्ली-डंडा सब खेलों का राजा है। अब भी कभी लड़कों को गुल्ली-डंडा खेलते देखता हूँ, तो जी लोट-पोट हो जाता है कि इनके साथ जाकर खेलने लगूँ। न ...

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गुल्‍ली - डंडा-2
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मुंशी प्रेमचंद
4.8

उन्हीं दिनों पिताजी का वहाँ से तबादला हो गया। नई दुनिया देखने की खुशी में ऐसा फूला कि अपने हमजोलियों से बिछुड़ जाने का बिलकुल दु:ख न हुआ। पिताजी दु:खी थे। वह बड़ी आमदनी की जगह थी। अम्माँजी भी दु:खी ...

लेखक के बारे में

मूल नाम : धनपत राय श्रीवास्तव उपनाम : मुंशी प्रेमचंद, नवाब राय, उपन्यास सम्राट जन्म : 31 जुलाई 1880, लमही, वाराणसी (उत्तर प्रदेश) देहावसान : 8 अक्टूबर 1936 भाषा : हिंदी, उर्दू विधाएँ : कहानी, उपन्यास, नाटक, वैचारिक लेख, बाल साहित्य   मुंशी प्रेमचंद हिन्दी के महानतम साहित्यकारों में से एक हैं, आधुनिक हिन्दी कहानी के पितामह माने जाने वाले प्रेमचंद ने स्वयं तो अनेकानेक कालजयी कहानियों एवं उपन्यासों की रचना की ही, साथ ही उन्होने हिन्दी साहित्यकारों की एक पूरी पीढ़ी को भी प्रभावित किया और आदर्शोन्मुख यथार्थवादी कहानियों की परंपरा कायम की|  अपने जीवनकाल में प्रेमचंद ने 250 से अधिक कहानियों, 15 से अधिक उपन्यासों एवं अनेक लेख, नाटक एवं अनुवादों की रचना की, उनकी अनेक रचनाओं का भारत की एवं अन्य राष्ट्रों की विभिन्न भाषाओं में अन्यवाद भी हुआ है। इनकी रचनाओं को आधार में रखते हुए अनेक फिल्मों धारावाहिकों को निर्माण भी हो चुका है।

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Surekha sulodhia
    23 ജനുവരി 2019
    मुंशी प्रेमचंद का कोई मुकाबला नहीं ho sakta गया ki tereh
  • author
    mahen mahen
    13 മെയ്‌ 2020
    बहुत ही सुन्दर कहानी थी, प्रेमचंद जी भाषा का भी अच्छा इस्तेमाल करते है। अपने कॉलेज के दिनों मे ये कहानी मेरे सिलेबस मे थी तब इसे पढ़कर जितना मज़ा आया था इतने सालो बाद भी वही मज़ा आया है।
  • author
    An Vik
    16 ഫെബ്രുവരി 2020
    हम भी बहुत खेलें हैं गुल्ली डंडा, एकदम मस्त खेल है।अब तो कोई खेलता ही नहीं ☹️।
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    Surekha sulodhia
    23 ജനുവരി 2019
    मुंशी प्रेमचंद का कोई मुकाबला नहीं ho sakta गया ki tereh
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    mahen mahen
    13 മെയ്‌ 2020
    बहुत ही सुन्दर कहानी थी, प्रेमचंद जी भाषा का भी अच्छा इस्तेमाल करते है। अपने कॉलेज के दिनों मे ये कहानी मेरे सिलेबस मे थी तब इसे पढ़कर जितना मज़ा आया था इतने सालो बाद भी वही मज़ा आया है।
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    An Vik
    16 ഫെബ്രുവരി 2020
    हम भी बहुत खेलें हैं गुल्ली डंडा, एकदम मस्त खेल है।अब तो कोई खेलता ही नहीं ☹️।