कुछ घंटे पहले... एक बड़ी काले रंग की मँहगी कार,सड़क सरपट भागे जा रही थी!ये ईलाका थोड़ा शहर से बाहर की तरफ था तो इस वक्त वहाँ पर इक्का-दुक्का गाडियाँ ही नजर आ रही थी..! सड़क के दोनो ओर की कतारो ...
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"गुज़ारिश" (भाग-३)
साक्षी परिहार
4.9
"जिदंगी भी ना बड़ी अजीब होती है....जैसा हम चाहते है, वो कभी हो नही पाता और जो हम नही चाहते वो कैसे भी करके हम तक पहुँचने का रास्ता बना ही लेता है..!कितनी कशमकश और उलझनो से भरी होती है ये जिंदगी...जब चाहते है की एक-एक कर ये सारे फाँसले मिट जाए...एक के बाद एक कर...सारे अनसुलझे पहलु सुलझ जाए....पर हमारी कोशिशे अपना असर दिखा ही कहाँ पाती है! "और जब हम अपनी किस्मत से थक-हारकर उससे बहुत दुर चले जाते हैं...उन खुबसुरत यादो को अपने जीने का जरिया बना देते है और उन कड़वे पलो को जहन से मिटाने की ...
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