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दुल्हन

4.4
3117

वीरेंद्र इसी शहर का रहने वाला था। पर लगभग पंद्रह साल के बाद उसका शहर में आना हुआ था। अब अपना ही शहर उसे अजनबी जैसा लग रहा था। जो पुराना था उसमें से बहुत कुछ अब नहीं रहा था। उसकी जगह कोई नई इमारत ...

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रौशनी निगल गई....
रौशनी निगल गई....
आशीष कुमार त्रिवेदी
4.5
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लेखक के बारे में

नमस्ते अपने आस पास के वातावरण को देख कर मेरे भीतर जो भाव उठते हैं उन्हें कहानी, लघु कथाओं एवं लेख के माध्यम से व्यक्त करता हूँ। इसके अतिरिक्त बाल कथाएँ भी लिखता हूँ।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    05 मई 2020
    superb story
  • author
    Ravinder Kumar
    05 मई 2020
    Bahut badhiya
  • author
    05 मई 2020
    acchi kahani
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    05 मई 2020
    superb story
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    Ravinder Kumar
    05 मई 2020
    Bahut badhiya
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    05 मई 2020
    acchi kahani