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भोज -हनुमान बाबा का

4.9
1287

बात उस समय की है जब श्री राम और देवी सीता वनवास की अवधि पूरी करके अयोध्या लौट चुके थे। अन्य सब लोग तो श्री राम के राज्याभिषेक के उपरांत अपने अपने राज्यों को लौट गए, किंतु हनुमान जी ने श्री राम ...

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हनुमानजी के ग्यारहमुखी रूप की पौराणिक कथा ।
पुस्तक का अगला भाग यहाँ पढ़ें हनुमानजी के ग्यारहमुखी रूप की पौराणिक कथा ।
मधुलिका साहू "Madhulika"
4.9

हनुमानजी के ग्यारहमुखी रूप की पौराणिक कथा । मनोजवं मारुततुल्यवेगं, जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं I वातात्मजं वानरयूथमुख्यं, श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये॥ अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं दनुजवनकृशानुं ...

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मधुलिका साहू

बस भावों को कलमबद्ध कर मन शांत हो जाता है

समीक्षा
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  • author
    संतोष नायक
    24 अक्टूबर 2023
    बहुत ही अच्छा प्रसंग चुना आपने और बहुत ही अच्छी रचना शैली में लिखा।एक प्रसंग मैंने भी पढ़ा था कि जब लंका जीतने के बाद कुछ समय पश्चात सारी वानर सेना भी अयोध्या पहुंची तो रामजी ने हनुमान जी से कहा कि कल सब वानरों का भोज हमारे महल में होगा।इस पर हनुमानजी ने प्रभु को सब वानरों का भोज न करने को कहा।कारण,उन्होंने कहा ये डाल पर उछलते- कूदते ही खा सकते हैं,पंक्तिबद्ध होकर बैठकर नहीं खा सकते है।राम जी नहीं माने।अगले दिन भोज के लिए हनुमान जी ने सब वानरों को अनुशासित तरीके से बैठकर खाने के लिए समझाया।पहले पत्तल सबको परोसी गई तो दो-तीन वानरों ने उसे फौरन सिर पर रख लिया,हनुमानजी के आंखें दिखाने पर वो सही ढंग से चुपचाप पत्तल रखने लगे।और व्यंजनों के साथ जब आम फल परोसा गया तो एक वानर ने अपनी मुठ्ठी में लेकर दबा दिया जिसकी गुठली सामने वाले वानर को लगी।वह भी ताव खा गया,फिर तो सब वानर एक दूसरे से ऐसा करते हुए पेड़ों पर चढ़कर उछलकूद करने लगे और एक दूसरे पर आम फैंकने लगे।हनुमानजी ने प्रभु से बोला मैंने इसी लिए मना किया था।देखा आपने।रामजी मुस्करा दिए। बहुत ही अच्छा प्रसंग।
  • author
    Neetu Maurya
    23 जुलाई 2023
    बहुत ही सुन्दर प्रसंग सुनाया आपने सखी। प्रभु की जितनी भी महिमा कही सुनी जाये कम ही है, हर बार पढ़ सुन कर आनंद ही आ जाता है हर बार लगता है कि बिल्कुल नई है। ऊपर से आप बिल्कुल ऐसे लिखती है कि लगता है कि सब बिल्कुल सामने ही घटित हो रहा है। बहुत बहुत धन्यवाद सखी, इस प्रसंग को यहां पर लाने के लिए। बहुत ही बढ़िया और भक्ति भाव से परिपूर्ण बहुत ही बढ़िया प्रस्तुति दी है आपने सखी, अपनी इस रचना के माध्यम से, बहुत ही बढ़िया लिखा है आपने, पढ़ कर आनंद आ गया।🌹🌹🌹🌹 जय सिया राम, जय वीर बाला जी महाराज की।🙏🏻🙏🏻
  • author
    navneeta chourasia
    16 नवम्बर 2020
    बहुत सुंदर प्रसंग का चयन किया है आपने 👏👏👏 अहा कितना सुंदर दृश्य होगा जब मां सीता स्वयं अपने हाथों से पका पका कर पवनसुत को परोस रही होंगी और हनुमान जी मुदित मन से उसे ग्रहण कर रहे होंगे। बहुत अच्छा लिखा आपने 👌👌👌💖💖 अनंत अभिनंदन 🙏🏻😊🌷
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    संतोष नायक
    24 अक्टूबर 2023
    बहुत ही अच्छा प्रसंग चुना आपने और बहुत ही अच्छी रचना शैली में लिखा।एक प्रसंग मैंने भी पढ़ा था कि जब लंका जीतने के बाद कुछ समय पश्चात सारी वानर सेना भी अयोध्या पहुंची तो रामजी ने हनुमान जी से कहा कि कल सब वानरों का भोज हमारे महल में होगा।इस पर हनुमानजी ने प्रभु को सब वानरों का भोज न करने को कहा।कारण,उन्होंने कहा ये डाल पर उछलते- कूदते ही खा सकते हैं,पंक्तिबद्ध होकर बैठकर नहीं खा सकते है।राम जी नहीं माने।अगले दिन भोज के लिए हनुमान जी ने सब वानरों को अनुशासित तरीके से बैठकर खाने के लिए समझाया।पहले पत्तल सबको परोसी गई तो दो-तीन वानरों ने उसे फौरन सिर पर रख लिया,हनुमानजी के आंखें दिखाने पर वो सही ढंग से चुपचाप पत्तल रखने लगे।और व्यंजनों के साथ जब आम फल परोसा गया तो एक वानर ने अपनी मुठ्ठी में लेकर दबा दिया जिसकी गुठली सामने वाले वानर को लगी।वह भी ताव खा गया,फिर तो सब वानर एक दूसरे से ऐसा करते हुए पेड़ों पर चढ़कर उछलकूद करने लगे और एक दूसरे पर आम फैंकने लगे।हनुमानजी ने प्रभु से बोला मैंने इसी लिए मना किया था।देखा आपने।रामजी मुस्करा दिए। बहुत ही अच्छा प्रसंग।
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    Neetu Maurya
    23 जुलाई 2023
    बहुत ही सुन्दर प्रसंग सुनाया आपने सखी। प्रभु की जितनी भी महिमा कही सुनी जाये कम ही है, हर बार पढ़ सुन कर आनंद ही आ जाता है हर बार लगता है कि बिल्कुल नई है। ऊपर से आप बिल्कुल ऐसे लिखती है कि लगता है कि सब बिल्कुल सामने ही घटित हो रहा है। बहुत बहुत धन्यवाद सखी, इस प्रसंग को यहां पर लाने के लिए। बहुत ही बढ़िया और भक्ति भाव से परिपूर्ण बहुत ही बढ़िया प्रस्तुति दी है आपने सखी, अपनी इस रचना के माध्यम से, बहुत ही बढ़िया लिखा है आपने, पढ़ कर आनंद आ गया।🌹🌹🌹🌹 जय सिया राम, जय वीर बाला जी महाराज की।🙏🏻🙏🏻
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    navneeta chourasia
    16 नवम्बर 2020
    बहुत सुंदर प्रसंग का चयन किया है आपने 👏👏👏 अहा कितना सुंदर दृश्य होगा जब मां सीता स्वयं अपने हाथों से पका पका कर पवनसुत को परोस रही होंगी और हनुमान जी मुदित मन से उसे ग्रहण कर रहे होंगे। बहुत अच्छा लिखा आपने 👌👌👌💖💖 अनंत अभिनंदन 🙏🏻😊🌷