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बताकर गया

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खो गई थी प्यार में बताकर गया रंग हुस्न का मेरे उड़ाकर गया रोज आंखों से सपने चुराकर भी हूँ मासूम मुझे यह बताकर गया। हंस दी मैं उसकी नादानियों पर टूट गए अरमां जो सजाकर गया। देखकर आइना मैं बिखर सी गई ...

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तेरा हुस्न है
तेरा हुस्न है
punam devi
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लेखक के बारे में
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punam devi

पढ़ना नशा था,लिखना आदत हो गई मैं प्रतिलिपि पर एक अनगढ़ पत्थर थी, आप सबकी समीक्षा के पारस से , मेरी लेखनी अविस्मरणीय बन गई।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Suresh Prasad सुपरफैन
    04 मई 2025
    very nice poem
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    Suresh Prasad सुपरफैन
    04 मई 2025
    very nice poem