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हिन्दी

बड़े घर की बेटी-बड़े घर की बेटी

4.6
205477

बेनीमाधव सिंह गौरीपुर गाँव के जमींदार और नम्बरदार थे। उनके पितामह किसी समय बड़े धन-धान्य संपन्न थे। गाँव का पक्का तालाब और मंदिर जिनकी अब मरम्मत भी मुश्किल थी, उन्हीं की कीर्ति-स्तंभ थे। कहते हैं, इस ...

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बड़े घर की बेटी-2
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मुंशी प्रेमचंद
4.5

एक दिन दोपहर के समय लालबिहारी सिंह दो चिड़िया लिये हुए आया और भावज से बोला-जल्दी से पका दो, मुझे भूख लगी है। आनंदी भोजन बनाकर उसकी राह देख रही थी। अब वह नया व्यंजन बनाने बैठी। हाँड़ी में देखा, तो घी ...

लेखक के बारे में

मूल नाम : धनपत राय श्रीवास्तव उपनाम : मुंशी प्रेमचंद, नवाब राय, उपन्यास सम्राट जन्म : 31 जुलाई 1880, लमही, वाराणसी (उत्तर प्रदेश) देहावसान : 8 अक्टूबर 1936 भाषा : हिंदी, उर्दू विधाएँ : कहानी, उपन्यास, नाटक, वैचारिक लेख, बाल साहित्य   मुंशी प्रेमचंद हिन्दी के महानतम साहित्यकारों में से एक हैं, आधुनिक हिन्दी कहानी के पितामह माने जाने वाले प्रेमचंद ने स्वयं तो अनेकानेक कालजयी कहानियों एवं उपन्यासों की रचना की ही, साथ ही उन्होने हिन्दी साहित्यकारों की एक पूरी पीढ़ी को भी प्रभावित किया और आदर्शोन्मुख यथार्थवादी कहानियों की परंपरा कायम की|  अपने जीवनकाल में प्रेमचंद ने 250 से अधिक कहानियों, 15 से अधिक उपन्यासों एवं अनेक लेख, नाटक एवं अनुवादों की रचना की, उनकी अनेक रचनाओं का भारत की एवं अन्य राष्ट्रों की विभिन्न भाषाओं में अन्यवाद भी हुआ है। इनकी रचनाओं को आधार में रखते हुए अनेक फिल्मों धारावाहिकों को निर्माण भी हो चुका है।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Abhay Mishra
    01 নভেম্বর 2017
    मै बनारस के लमही गॉव का हु जहा मुन्सी जी का जन्म हुआ ।हमारे गॉव मे बहुत बड़ी लाइब्रेरी है जहा मुन्सी जी की समस्त रचना उपलब्ध है ।हम शाम को 2 घंटे लाईब्रेरी मे बैठते है अब तक मुन्सी जी समस्त रचनाये पढ़ चूका हु
  • author
    Aarti Tiwari "🦋 butterfly"
    21 অগাস্ট 2018
    मुंशी जी की कहानी की समीक्षा लिखने का दुःसाहस तो मुझमें कदापि नही,उनकी कहानियों से प्रेरणा मिली है कि जमीन से जुडाव किसी भी व्यक्ति को महान बना सकता है.... शत् शत् नमन🙏🙏🙏
  • author
    Kiran Awasthi
    22 মে 2020
    घर को जोड़ कर रखना स्त्री का काम है।लेकिन पति ने भी पत्नी के अपमान पर अपने ही परिवार में अन्याय के खिलाफ बात की।परिवार न टूटे इसलिए आनंदी ने भाइयो में मेल करवाया।यदि पति साथ नही देते तो मन ही मन गुस्से की आग बढ़ती और पता नही कहाँ जाकर ठंडी होती।बेहतरीन रचना।
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    Abhay Mishra
    01 নভেম্বর 2017
    मै बनारस के लमही गॉव का हु जहा मुन्सी जी का जन्म हुआ ।हमारे गॉव मे बहुत बड़ी लाइब्रेरी है जहा मुन्सी जी की समस्त रचना उपलब्ध है ।हम शाम को 2 घंटे लाईब्रेरी मे बैठते है अब तक मुन्सी जी समस्त रचनाये पढ़ चूका हु
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    Aarti Tiwari "🦋 butterfly"
    21 অগাস্ট 2018
    मुंशी जी की कहानी की समीक्षा लिखने का दुःसाहस तो मुझमें कदापि नही,उनकी कहानियों से प्रेरणा मिली है कि जमीन से जुडाव किसी भी व्यक्ति को महान बना सकता है.... शत् शत् नमन🙏🙏🙏
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    Kiran Awasthi
    22 মে 2020
    घर को जोड़ कर रखना स्त्री का काम है।लेकिन पति ने भी पत्नी के अपमान पर अपने ही परिवार में अन्याय के खिलाफ बात की।परिवार न टूटे इसलिए आनंदी ने भाइयो में मेल करवाया।यदि पति साथ नही देते तो मन ही मन गुस्से की आग बढ़ती और पता नही कहाँ जाकर ठंडी होती।बेहतरीन रचना।