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बदलते रिश्तों के सिलसिले (3)

4.4
45774

अगले दिन शिवाय उठा तो देखा 7:00 बज गए हैं और शंकर अभी तक उठा नहीं वह शंकर के कमरे में गया उसने देखा शंकर अब तक सो रहा है उस ने आवाज लगाई! शंकर उठो स्कूल नहीं जाना क्या! शंकर जल्दी से उठा और ...

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बदलते रिश्तों के सिलसिले (4)
बदलते रिश्तों के सिलसिले (4)
डेजी Goswami
4.5
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लेखक के बारे में
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डेजी Goswami

प्रिय पाठकों, मैं जिंदगी के हर रंग को अपने शब्दों में पिरोने का प्रयास करती हूं।मेरी लेखनी का आधार मेरा अनुभव ,मेरा संघर्ष है। सभी की जिंदगी में उनकी अनकही यादें होती हैं। जब उन्हें शब्द मिल जाए तो वह कहानी बन जाती है। मैंने भी जो महसूस किया जीवन में सहा और जाना उसे ही कहानी और कविता में ढाल दिया। मेरी कहानियों के पीछे जीवन कोई न कोई सच्चाई छिपी रहती है। मुझे खुशी है कि अधिकांश पाठक मेरी रचनाओं को पसन्द करते हैं। उनकी समीक्षा और प्रोत्साहन मेरे लिए अनमोल है। बाकी हेटर्स तो सबके जीवन में होते हैं।जो हमें कामयाब बनाने में बहुत हेल्प करते हैं।

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Raj
    30 జనవరి 2019
    good story
  • author
    Asha Shukla ""Asha""
    02 ఫిబ్రవరి 2019
    very nice and fantastic creation.
  • author
    prabha malhotra
    18 జనవరి 2019
    good story, waiting for next part.....
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Raj
    30 జనవరి 2019
    good story
  • author
    Asha Shukla ""Asha""
    02 ఫిబ్రవరి 2019
    very nice and fantastic creation.
  • author
    prabha malhotra
    18 జనవరి 2019
    good story, waiting for next part.....