भगवान नारायण की पद्मनाभ मुद्रा से विशाल कमलदल पर उत्पन्न ब्रह्माजी ने भगवान के आदेशों से सृष्टि की रचना आरंभ कर दी । उनके ऋषि रूप छह मानस पुत्र हुए; मरीचि, अत्रि, अंगिरा, पुलत्स्य, पुलह तथा क्रतु ...
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अथ श्री महाभारत कथा: ३
मुकेश नागर
4.6
भाग २ से आगे... ५ देवताओं के गुरु थे ऋषि अंगिरा के परम तेजस्वी और विद्वान पुत्र बृहस्पति और दैत्यों के गुरु और पुरोहित थे संजीवनी विद्या जानने वाले परम प्रतापी शुक्राचार्य । अमृत पीकर देवतागण अमर हो ...
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आप के इस प्रयास को पढ़कर बहुत प्रसन्नता हुई .मैंने कई वर्ष पहले यह ग्रंथ पढ़ा था .उसके बाद मैंने पाया कि यह कहीं से भी अपने सम्पूर्ण रूप में उपलब्ध नहीं हो पा रहा था. अलग अलग कहानियों के रूप में कई बार पढ़ने को मिला .लेकिन अब अति प्रसन्नता हुई .आशा है आगे भी पढ़ने को मिलता रहेगा ..धन्यवाद .
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आप के इस प्रयास को पढ़कर बहुत प्रसन्नता हुई .मैंने कई वर्ष पहले यह ग्रंथ पढ़ा था .उसके बाद मैंने पाया कि यह कहीं से भी अपने सम्पूर्ण रूप में उपलब्ध नहीं हो पा रहा था. अलग अलग कहानियों के रूप में कई बार पढ़ने को मिला .लेकिन अब अति प्रसन्नता हुई .आशा है आगे भी पढ़ने को मिलता रहेगा ..धन्यवाद .
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