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अंधेर नगरी चौपट्ट राजा टके सेर भाजी टके सेर खाजा-अंधेर नगरी चौपट्ट राजा टके सेर भाजी टके सेर खाजा

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छेदश्चन्दनचूतचंपकवने रक्षा करीरद्रुमे हिंसा हंसमयूरकोकिलकुले काकेषुलीलारतिः मातंगेन खरक्रयः समतुला कर्पूरकार्पासियो: एषा यत्र विचारणा गुणिगणे देशाय तस्मै नमः ...

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भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
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(वाह्य प्रान्त) (महन्त जी दो चेलों के साथ गाते हुए आते हैं) सब : राम भजो राम भजो राम भजो भाई। राम के भजे से गनिका तर गई, राम के भजे से गीध गति पाई। राम के नाम से काम बनै सब, राम के भजन बिनु सबहि नसाई ...

लेखक के बारे में

मूल नाम : भारतेन्दु हरिश्चंद्र जन्म : 9 सितंबर 1850, वाराणसी(उत्तर प्रदेश) देहावसान : 7 जनवरी 1885, वाराणसी(उत्तर प्रदेश) भाषा : हिन्दी विधाएँ : कविता, नाटक, पत्रकारिता भारतेन्दु हरिश्चंद्र आधुनिक हिन्दी साहित्य के पितामह माने जाते हैं, उन्होंने 'हरिश्चंद्र पत्रिका', 'कविवचन सुधा' और 'बाल विबोधिनी' पत्रिकाओं का संपादन भी किया। हिन्दी साहित्य में इनके अमूल्य योगदान के कारण १८५७ से १९०० तक के काल को भारतेन्दु युग के नाम से जाना जाता है। 34 साल की अल्पायु में ही देहावसान होने के बावजूद, भारतेन्दु हरिश्चंद्र ने इतनी विधाओं में अनुपम साहित्य रचना की है कि अनेकानेक साहित्यकार दशकों तक इनके प्रभाव में रहे। इन्होने खड़ी बोली हिन्दी को उर्दू से प्रथक उसके शुद्ध रूप में प्रचलित किया, उनकी ये पंक्तियाँ आज भी मात्र भाषा के महत्वा को इंगित करने के लिये पढ़ी जाती हैं: निज भाषा उन्नति लहै सब उन्नति को मूल। बिन निज भाषा ज्ञान के मिटे न हिय को शूल॥

समीक्षा
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  • author
    Lövíñg Ñk
    19 जानेवारी 2018
    Bachpan me padhi thi ye kahan sayad 7th class me..tha..aj yaad tazi ho gyi.. Thanks for this Story to published here
  • author
    sushil kumar
    10 नोव्हेंबर 2017
    ५ कक्षा की स्टोरी कॉपी कर दी
  • author
    विजय सिंह "बैस"
    25 ऑगस्ट 2019
    भारतेंदु हरिश्चंद्र जी हिंदी साहित्य के पुरोधा थे ।उनकी रचना धर्मिता को नमन !
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    Lövíñg Ñk
    19 जानेवारी 2018
    Bachpan me padhi thi ye kahan sayad 7th class me..tha..aj yaad tazi ho gyi.. Thanks for this Story to published here
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    sushil kumar
    10 नोव्हेंबर 2017
    ५ कक्षा की स्टोरी कॉपी कर दी
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    विजय सिंह "बैस"
    25 ऑगस्ट 2019
    भारतेंदु हरिश्चंद्र जी हिंदी साहित्य के पुरोधा थे ।उनकी रचना धर्मिता को नमन !