"तुम आ गई हो मेरे पास, अब कोई चाह बाकी नहीं। लगकर मेरे सीने से तुझे क्या हुआ एहसास बताओ न? आज लगकर सीने से मेरे, तुम कितना इतरा रही हो। शिद्दत से पाया है तुम्हें परम, खुद ही गुनगुना रही हो।। तुझे ...
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03. सदियों का इंतज़ार
परमानन्द "प्रेम"
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"आज मेरे प्यार ने, मेरी मोहब्बत को ज्यों कुबूल किया है। आज क़दम नहीं जमीं पर, दिल की तमन्नाओं ने खुशी पा ली है। तेरे बसंती आँचल के साए में, मौसम भी खुशगवार हुआ है।। हवाओं में, कान्हा की बांसुरी की ...
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