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हवा का झोंका-हवा का झोंका

4.1
5701

तब खिड़की से आए हवा के एक झोंके ने ... तुम्हारे गालो पर फैले जुल्फों के पर्दे को हटा दिया था.......और उसी झोंके के साथ मेरा बावरा मन भी उड़ चला था तुम्हारी ओर... बस तभी मेरी पहली पूर्णिमा हुई थी ...

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हवा का झोंका-हवा का झोंका - 2
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अविनाश तिवारी "अविकाव्य"
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रजत यहीं नाम है मेरा और तुम योग्यता,अब तुम्हारा नाम ही योग्यता है तो तुम्हे पाने के लिए.......रजत को योग्य तो होना ही पड़ेगा। फिर क्या था चल पड़े रजत और आयुष्मान अपनी क्लास क्या पुरे कॉलेज के गूगल बाबा ...

लेखक के बारे में

"चल अविनाश अब चलते है मन की उड़ान हम भरते है बंद आँखों की बातो को,अल्हड़ से इरादों को, कोरे कागज पर उतारेंगे अंतर्मन को थामकर,बाते उसकी जानेगे चल अविनाश अब चलते है मन की उड़ान हम भरते हैं.."

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Sameer Saawan
    31 जुलाई 2020
    Hi aapki story kafi achhi lagi.. Main ye stroy record kar sakta hu kya.. Aapki izazat ho toh...
  • author
    Sanyogita Thakur
    21 सितम्बर 2018
    प्यार को एकदम साफ सुथरे और सहज-सरल तरीके से व्यक्त किया आपने 👍🏻
  • author
    Yogendra Singh
    31 जुलाई 2018
    लेखन की कहें या टंकण की त्रुटियों को छोड़ कर एक सराहनीय प्रयास. बधाई स्वीकारें.
  • author
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  • author
    Sameer Saawan
    31 जुलाई 2020
    Hi aapki story kafi achhi lagi.. Main ye stroy record kar sakta hu kya.. Aapki izazat ho toh...
  • author
    Sanyogita Thakur
    21 सितम्बर 2018
    प्यार को एकदम साफ सुथरे और सहज-सरल तरीके से व्यक्त किया आपने 👍🏻
  • author
    Yogendra Singh
    31 जुलाई 2018
    लेखन की कहें या टंकण की त्रुटियों को छोड़ कर एक सराहनीय प्रयास. बधाई स्वीकारें.