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हल

4.4
20030

मनोज की शराब पीने की लत के कारण उसकी तबीयत बिगड़ती जा रही थी। डॉक्टर ने कई बार उसे शराब छोड़ने को कहा था। मनोज चाह कर भी शराब पीना छोड़ नहीं पा रहा था। अतः उसकी लत छुड़ाने के लिए उसके डॉक्टर ने उसे ...

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दूर की सोच
दूर की सोच
आशीष कुमार त्रिवेदी
4.5
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लेखक के बारे में

नमस्ते अपने आस पास के वातावरण को देख कर मेरे भीतर जो भाव उठते हैं उन्हें कहानी, लघु कथाओं एवं लेख के माध्यम से व्यक्त करता हूँ। इसके अतिरिक्त बाल कथाएँ भी लिखता हूँ।

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Kiran Sharma
    03 मार्च 2019
    समस्या का हल भी तो हो छोटी समस्या के सामने बड़ी समस्या दिखाना कोई हल नहीं।फिर भी आने वाले समय ही इसको हल कर सकता है।सब समय पर छोड़ दो
  • author
    Rakesh Kumar Singh
    19 जुलाई 2020
    Bahut hi shandar hridayasparshi prastuti .Prashansha ke liye adhik shabd nahi hai .
  • author
    नीता राठौर
    23 फ़रवरी 2019
    मज़ा तो तब आता जब उस काउंसलर को देख, मनोज कुछ सीख लेता। वैसे कहानी का विषय अच्छा है।
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    Kiran Sharma
    03 मार्च 2019
    समस्या का हल भी तो हो छोटी समस्या के सामने बड़ी समस्या दिखाना कोई हल नहीं।फिर भी आने वाले समय ही इसको हल कर सकता है।सब समय पर छोड़ दो
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    Rakesh Kumar Singh
    19 जुलाई 2020
    Bahut hi shandar hridayasparshi prastuti .Prashansha ke liye adhik shabd nahi hai .
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    नीता राठौर
    23 फ़रवरी 2019
    मज़ा तो तब आता जब उस काउंसलर को देख, मनोज कुछ सीख लेता। वैसे कहानी का विषय अच्छा है।