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सुगन्धा

4.4
18098

श्वेता की भरपूर लात पेट पर पड़ते ही सुगन्धा की नींद टूटी,उसने धीरे से लात कोअपने पेट से जुदा कियाऔर करवट बदल ली। दूसरी बगल से चिपटी स्मिता भी कुनमुनाई, उसने सुगन्धा की पकड़ को और भी मजबूत किया,साथ ...

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डा.राजेश रस्तोगी कु. राजेशवरी रस्तोगी "डा.राजेश रस्तोगी"
3.8

"और" मानसी कुछ काली भी होती तो क्या था,उसका ऊपर का एक उभरा दाँत , जरा सा अधिक ही पतला ऊपर का होंठ, गणेश-प्रतिमा की दिव्य आँखोंके सादृश्य सी थोडी़ तिरछी सी दृष्टि क्या कम ...

लेखक के बारे में

नाम- डा. राजेश रस्तोगी रुचि- लेखन और चित्रकला प्रकाशित- सुगन्धा (कहानी संकलन) पुस्तकें----- जाला (खण्ड काव्य), आकुला ,अनुभूति , द्वंद , चषक (काव्य), प्रणयगन्धा, कारवां, काव्यभारती, कथाघाट, लधुकथा - संग्रहों मे व अनेकों स्तरीय पत्र-पत्रिकाओं में सैंकड़ों रचनाऐं प्रकाशित। विशेष----- मानद्-उपाधियाँ ---विद्यासागर(डी लिट्), साहित्य- वाचस्पति(पी.एच.डी ), राष्ट्र भाषा आचार्य, साहित्य श्री, साहित्य शास्त्री, राष्ट्र भाषा गौंरव, विशिष्ट नागरिक, छन्द सामाज्ञ्री, आधुनिक मीरा, आदि अलंकरण प्राप्त, भारत की प्रथम महिला, रोटरी क्लब, इंट्रेक्ट क्लब, अम्बेदकर अकादमी, हिन्दी विश्व संस्कृति दिलली, इस्टीट्यूट आँफ् साइंस एण्ड टैक्नोलोजी दिल्ली, दिल्ली साहित्य समाज दिल्ली, हिन्दी साहित्य सम्भेलन प्रयाग, मीरा मण्डल दिल्ली आदि अनेक संस्थाओं द्वारा सम्मानित। साहित्याकाश पत्रिका द्वारा -'राजेशविशेषाँक' (नवम्बर दिसबर 89 प्रकाशित), अनेकों राष्ट्रीय अन्तराष्ट्रीय डायरेक्टरि़यों में परिचय प्रकाशित ,अनेको रचनाओं का अनुवाद, व कई रचनाऐं प्रशंसित व पुरस्कृत

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    29 मार्च 2019
    श्रृद्धेय डा. राजेश रस्तोगी जी, "सुगन्धा " जैसी हृदयस्पर्शी ममत्व तथा वात्सल्य से भावविभोर कर देने वाली कालजयी रचना के लिए बहुत-बहुत बधाई और साधुवाद।वैसे आप जैसे सुविख्यात साहित्यकार को मैं अनजान सा लेखक क्या बधाई दूं,आप हिन्दी साहित्य के ज्योतिपुंज हैं। फिर भी मैं नारी के त्याग तथा करूणा स्वरूप को परिभाषित करती इस कहानी के लिए आपको बधाई देना अपना कर्तव्य समझता हूँ। भाषा शैली तथा शब्दचयन माणिक कंचन समान जगमगाते कथा का मार्ग प्रशस्त करते प्रतीत होते हैं।असहाय वेदना की दबी-दबी सी चीत्कार हृदय विदारक है।ईश्वर से करबद्ध निवेदन है कि वे आपको आनन्दमय तता ऐश्वर्यपूर्ण दीर्घायु प्रदान करें।
  • author
    Shepherd Sukhveer Singh Pardhan
    31 जुलाई 2018
    इतना गहरा , इतना ह्रदय स्पर्शी किस तरह लिख लेते हो आप
  • author
    Rekha sharma
    15 अक्टूबर 2020
    sampoorn rachna ka ek hee saar " ladki ko deeksha ki apeksha nhi" ....... behad hi bhavmaya rachna hai... sirji
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    29 मार्च 2019
    श्रृद्धेय डा. राजेश रस्तोगी जी, "सुगन्धा " जैसी हृदयस्पर्शी ममत्व तथा वात्सल्य से भावविभोर कर देने वाली कालजयी रचना के लिए बहुत-बहुत बधाई और साधुवाद।वैसे आप जैसे सुविख्यात साहित्यकार को मैं अनजान सा लेखक क्या बधाई दूं,आप हिन्दी साहित्य के ज्योतिपुंज हैं। फिर भी मैं नारी के त्याग तथा करूणा स्वरूप को परिभाषित करती इस कहानी के लिए आपको बधाई देना अपना कर्तव्य समझता हूँ। भाषा शैली तथा शब्दचयन माणिक कंचन समान जगमगाते कथा का मार्ग प्रशस्त करते प्रतीत होते हैं।असहाय वेदना की दबी-दबी सी चीत्कार हृदय विदारक है।ईश्वर से करबद्ध निवेदन है कि वे आपको आनन्दमय तता ऐश्वर्यपूर्ण दीर्घायु प्रदान करें।
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    Shepherd Sukhveer Singh Pardhan
    31 जुलाई 2018
    इतना गहरा , इतना ह्रदय स्पर्शी किस तरह लिख लेते हो आप
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    Rekha sharma
    15 अक्टूबर 2020
    sampoorn rachna ka ek hee saar " ladki ko deeksha ki apeksha nhi" ....... behad hi bhavmaya rachna hai... sirji