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प्रायश्चित 1

4.4
14881

ट्रेन सरहद के पास एक छोटे से स्टेशन पर आकार रुकी। मुकुंद इस स्टेशन पर उतरने वाला इकलौता शख़्स था। मुकुंद ने घड़ी देखी। सुबह के सवा नौ बजे थे। किंतु स्टेशन इतना शांत और खाली था जैसे रात के ढाई बजे ...

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प्रायश्चित 2
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आशीष कुमार त्रिवेदी
4.8

(2) मुकुंद ग्राम प्रधान के घर के सामने खड़ा था। दरवाज़ा खुलने पर घर के नौकर ने बताया कि प्रधान जी अभी घर पर नही हैं। लौटने में कुछ समय लगेगा। मुकुंद घर के सामने बने नीम के चबूतरे पर बैठ कर उनके ...

लेखक के बारे में

नमस्ते अपने आस पास के वातावरण को देख कर मेरे भीतर जो भाव उठते हैं उन्हें कहानी, लघु कथाओं एवं लेख के माध्यम से व्यक्त करता हूँ। इसके अतिरिक्त बाल कथाएँ भी लिखता हूँ।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    लाजवाब बहुत ही सुंदर लिखा है और ये कहानी जीवंत जैसी लगती है और संसार मे ऐसा बहुत जगह हो रहा है। लेखक की जीतनी तारिफ की जाए बहुत कम है ।
  • author
    पवनेश मिश्रा
    08 जून 2020
    लौट आओ, बेहतरीन हॉरर एवं सस्पेंस कथानक हेतु बहुत बहुत बधाई आशीष जी 🙏🌹🙏,
  • author
    Kamal Chauhan
    08 जून 2020
    lajwab kahani h. lekin jaise mukund ne kia vaise nhi krna chahiye tha. use resume ko apna lena tha. wo bekar me mari gai
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    लाजवाब बहुत ही सुंदर लिखा है और ये कहानी जीवंत जैसी लगती है और संसार मे ऐसा बहुत जगह हो रहा है। लेखक की जीतनी तारिफ की जाए बहुत कम है ।
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    पवनेश मिश्रा
    08 जून 2020
    लौट आओ, बेहतरीन हॉरर एवं सस्पेंस कथानक हेतु बहुत बहुत बधाई आशीष जी 🙏🌹🙏,
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    Kamal Chauhan
    08 जून 2020
    lajwab kahani h. lekin jaise mukund ne kia vaise nhi krna chahiye tha. use resume ko apna lena tha. wo bekar me mari gai