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लालच का फल बुरा

4.6
1917

दो बहनें थी। दोनों सौतेली थी। माँ अपनी बेटी को अच्छा मानती और सौतेली से खूब काम करवाती। उसकी बेटी सुंदर थी, मगर सौतेली  से कम। सीमा दिन भर काम करती, और मीना खटिया तोड़ती। एक दिन सीमा को बहुत मारा वो ...

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चींटी की मूँछे
चींटी की मूँछे
लता शर्मा "सखी"
4.5
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लेखक के बारे में
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लता शर्मा

तुम आए जिंदगी में, जिंदगी फूलों सी हो गई, हर पल महकी महकी सी रहूं, मैं जैसे कोई इत्र हो गई.. मिले हो तुम जबसे दिल कहे, हां, सखी तुझे भी मुहब्बत हो गई..😘 ©सखी

समीक्षा
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  • author
    Dinesh Bhardwaj
    14 नवम्बर 2019
    मस्त । शिक्षात्मक ।।🙏🙏
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    Dinesh Bhardwaj
    14 नवम्बर 2019
    मस्त । शिक्षात्मक ।।🙏🙏