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ना उजड़े घर परिंदों के

4.7
24095

ना उजड़े घर परिंदों के शादी की भागदौड़ और उसके ऊपर एक के बाद फंक्शन थक कर मैं पंलग पर बैठ कर पैरों को गर्म पानी के टब में डालकर अपनी थकावट दूर कर रही थी ।आज नीतू की मेहन्दी हैं। कल सगन के फंक्शन ...

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तेरे जाने के बाद भाग 2
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Damini
4.7

बेटी को डोली में बिठा कर विदा कर दिया एक एक करके सारे मेहमान भी वापस अपने-अपने घर लौट गए। जिस घर में पिछले एक सप्ताह से चहल-पहल थी, वहीं सन्नाटे ने अपना डेरा जमा लिया था एक कमरे से दूसरे कमरे में घूम रही थी। अनेकों प्रश्न दिमाग में चल रहे थे, क्या करूंगी अब इस घर में जहाँ राकेश मुझे दुल्हन बना कर लाए थे? मैं राकेश की अलमारी के पास जाकर खड़ी हो गई अलमारी खोलकर राकेश के कपड़ों को देखने लगी राकेश की एक- एक चीज़ को मैंने अभी तक सहेज कर रखा हुआ था। उसकी यूनिफार्म, उसके रूमाल, उसकी कैप, सबकुछ उसी जगह ...

लेखक के बारे में
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Damini

साहित्य की पगडंडी पर अभी पहला कदम रखा हैं। मंज़िल अभी बहुत दूर है। 🙏

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Shraddhaholic SK "Shraddha Kapoor"
    27 जून 2019
    कहानी के पिछे आपकी मेहनत स्पष्ट परिलक्षित होती है 😊😊 बहुत खूब 👏👏👏👏
  • author
    Yakoob Khan "Anshu"
    25 जून 2019
    बढ़िया शब्द चयन, उत्कृष्ट लेखनशैली का बेहतरीन उदाहरण। शानदार कहानी। एक माँ के मनोभावों का सजीव चित्रण। शालू की महानता का पता वहीं से चल जाता है जब वो अपनी बेटी के लिए माँ और पिता दोनों का फ़र्ज़ निभाती है। वो चाहती तो दूसरी शादी कर सकती थी लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। अपनी बेटी नीतू की ख़ातिर। अंत में उसे भी पायलेट बनाया और अब उसका घर बसाते हुए दुआऐं कर रही है। माँऐं ऐसी ही होती हैं। किस्मत वाले हैं वे जिनके माता पिता उनके पास हैं उनके साथ हैं। बहुत अच्छी कहानी गढ़ी है आपने। बहुत बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएँ।
  • author
    21 मई 2020
    जीवन में हर किरदार को अपने अपने हिस्से का दायित्व निर्वाह करना होता है हम मनुष्य है और मनुष्य अपने अधिकारों की सीमा में भीड़ करके इतना स्वार्थी हो जाता है कि कर्तव्यों की और उसका ध्यान नहीं जाता जब कभी हम किसी मिथक को लेते हैं या मिसाल को लेते हैं तो हमारे सामने यह सहज उद्घाटित हो उठता है कि सुख अथवा सुकांति आनंद अथवा आनंद की अनुभूति यह दोनों समान अर्थ के देखते हुए भी अलग है और इनको हम तभी प्राप्त कर पाते हैं जब कभी हम कुछ ऐसा करते हैं जो हमें सुकून देता है कहीं अंदर जाकर के अंतःकरण को और इस कहानी के माध्यम से अपने समाज में व्याप्त कुरीतियों विसंगतियों विषमताओं को उनकी जमीन को तोड़ने की कोशिश की है शब्द चयन से लेकर वाक्य विन्यास और संवाद योजना बहुत ही बेहतरीन है कथ्य का शुगर रोग जिससे प्रगति से आगे बढ़ रहा है वह रचनाकार के अनुभव के साथ-साथ विलक्षणता और योग्यता को आर्थित करता है बहुत-बहुत बधाई आप ऐसे ही लिखती रहें और हम पढ़ते रहे
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  • author
    Shraddhaholic SK "Shraddha Kapoor"
    27 जून 2019
    कहानी के पिछे आपकी मेहनत स्पष्ट परिलक्षित होती है 😊😊 बहुत खूब 👏👏👏👏
  • author
    Yakoob Khan "Anshu"
    25 जून 2019
    बढ़िया शब्द चयन, उत्कृष्ट लेखनशैली का बेहतरीन उदाहरण। शानदार कहानी। एक माँ के मनोभावों का सजीव चित्रण। शालू की महानता का पता वहीं से चल जाता है जब वो अपनी बेटी के लिए माँ और पिता दोनों का फ़र्ज़ निभाती है। वो चाहती तो दूसरी शादी कर सकती थी लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। अपनी बेटी नीतू की ख़ातिर। अंत में उसे भी पायलेट बनाया और अब उसका घर बसाते हुए दुआऐं कर रही है। माँऐं ऐसी ही होती हैं। किस्मत वाले हैं वे जिनके माता पिता उनके पास हैं उनके साथ हैं। बहुत अच्छी कहानी गढ़ी है आपने। बहुत बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएँ।
  • author
    21 मई 2020
    जीवन में हर किरदार को अपने अपने हिस्से का दायित्व निर्वाह करना होता है हम मनुष्य है और मनुष्य अपने अधिकारों की सीमा में भीड़ करके इतना स्वार्थी हो जाता है कि कर्तव्यों की और उसका ध्यान नहीं जाता जब कभी हम किसी मिथक को लेते हैं या मिसाल को लेते हैं तो हमारे सामने यह सहज उद्घाटित हो उठता है कि सुख अथवा सुकांति आनंद अथवा आनंद की अनुभूति यह दोनों समान अर्थ के देखते हुए भी अलग है और इनको हम तभी प्राप्त कर पाते हैं जब कभी हम कुछ ऐसा करते हैं जो हमें सुकून देता है कहीं अंदर जाकर के अंतःकरण को और इस कहानी के माध्यम से अपने समाज में व्याप्त कुरीतियों विसंगतियों विषमताओं को उनकी जमीन को तोड़ने की कोशिश की है शब्द चयन से लेकर वाक्य विन्यास और संवाद योजना बहुत ही बेहतरीन है कथ्य का शुगर रोग जिससे प्रगति से आगे बढ़ रहा है वह रचनाकार के अनुभव के साथ-साथ विलक्षणता और योग्यता को आर्थित करता है बहुत-बहुत बधाई आप ऐसे ही लिखती रहें और हम पढ़ते रहे