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अचानक वह सकपकाई, अजीब सा भूखापन था उसकी दृष्टिमें। अपनी झुकी पलकों के नीचे से विभावरी ने अपने आपको ध्यान से देखा उसे अपना तन कहीं से भी उघड़ा नजर नही आया, फिर........क्या टटोल रही थी वे दो आँखें ...