pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

दो घूँट पानी

4.3
47621

अचानक वह सकपकाई, अजीब सा भूखापन था उसकी दृष्टिमें। अपनी झुकी पलकों के नीचे से विभावरी ने अपने आपको ध्यान से देखा उसे अपना तन कहीं से भी उघड़ा नजर नही आया, फिर........क्या टटोल रही थी वे दो आँखें ...

अभी पढ़ें
"मेरा मैं"
"मेरा मैं"
डा.राजेश रस्तोगी कु. राजेशवरी रस्तोगी "डा.राजेश रस्तोगी"
4.6
ऐप डाउनलोड करें

Hurray!
Pratilipi has launched iOS App

Become the first few to get the App.

Download App
ios
लेखक के बारे में

नाम- डा. राजेश रस्तोगी रुचि- लेखन और चित्रकला प्रकाशित- सुगन्धा (कहानी संकलन) पुस्तकें----- जाला (खण्ड काव्य), आकुला ,अनुभूति , द्वंद , चषक (काव्य), प्रणयगन्धा, कारवां, काव्यभारती, कथाघाट, लधुकथा - संग्रहों मे व अनेकों स्तरीय पत्र-पत्रिकाओं में सैंकड़ों रचनाऐं प्रकाशित। विशेष----- मानद्-उपाधियाँ ---विद्यासागर(डी लिट्), साहित्य- वाचस्पति(पी.एच.डी ), राष्ट्र भाषा आचार्य, साहित्य श्री, साहित्य शास्त्री, राष्ट्र भाषा गौंरव, विशिष्ट नागरिक, छन्द सामाज्ञ्री, आधुनिक मीरा, आदि अलंकरण प्राप्त, भारत की प्रथम महिला, रोटरी क्लब, इंट्रेक्ट क्लब, अम्बेदकर अकादमी, हिन्दी विश्व संस्कृति दिलली, इस्टीट्यूट आँफ् साइंस एण्ड टैक्नोलोजी दिल्ली, दिल्ली साहित्य समाज दिल्ली, हिन्दी साहित्य सम्भेलन प्रयाग, मीरा मण्डल दिल्ली आदि अनेक संस्थाओं द्वारा सम्मानित। साहित्याकाश पत्रिका द्वारा -'राजेशविशेषाँक' (नवम्बर दिसबर 89 प्रकाशित), अनेकों राष्ट्रीय अन्तराष्ट्रीय डायरेक्टरि़यों में परिचय प्रकाशित ,अनेको रचनाओं का अनुवाद, व कई रचनाऐं प्रशंसित व पुरस्कृत

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Reema Bhadauria
    16 அக்டோபர் 2018
    है तो भयानक सच पर इसे भयानक बनाता कौन है पुरूष समाज ही ।बहुत खूबसूरत कहानी 😯😯
  • author
    C.K Chandna
    27 அக்டோபர் 2018
    bahut achi kahani. Esme aapne ek khudar estri Ka jo Chitran Keya ha, wo kaabile taarif ha Lekin dusre pahlu me jo puurush ke vaasna Drishti kaa ullekh Keya. aapne aaj ke samaaj kaa vaastawik ayena dekha Deya ha.aapko thanks.
  • author
    Devender Yadav
    17 அக்டோபர் 2020
    समाज की कुत्सित मानसिकता से परिचित कराती है। क्या गारंटी है कि सौतेला बाप बच्ची पर गलत नज़र नहीं डालेगा?
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Reema Bhadauria
    16 அக்டோபர் 2018
    है तो भयानक सच पर इसे भयानक बनाता कौन है पुरूष समाज ही ।बहुत खूबसूरत कहानी 😯😯
  • author
    C.K Chandna
    27 அக்டோபர் 2018
    bahut achi kahani. Esme aapne ek khudar estri Ka jo Chitran Keya ha, wo kaabile taarif ha Lekin dusre pahlu me jo puurush ke vaasna Drishti kaa ullekh Keya. aapne aaj ke samaaj kaa vaastawik ayena dekha Deya ha.aapko thanks.
  • author
    Devender Yadav
    17 அக்டோபர் 2020
    समाज की कुत्सित मानसिकता से परिचित कराती है। क्या गारंटी है कि सौतेला बाप बच्ची पर गलत नज़र नहीं डालेगा?