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💐दास्ताने मौत और रात का सफर💐 भाग -1

4.5
17534

जिंदगी का गणित कभी कोई नहीं समझ सका .जीने मरने की ईश्वरीय लीला को क्षुद्र इंसान कहाँ समझ पाया है ....। यह कहानी मैंने किसी सत्य घटना पर लिखी है।  कुछ ऐसी घटनाएं भी जो और पता चलीं इस कहानी/घटना के ...

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💐दास्ताने मौत और रात का सफर💐
भाग -2
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शोभा शर्मा
4.8

💐दास्ताने मौत और रात का सफर💐 भाग -2 सफर और डर पिछले भाग में... गांव की लड़की ...शन्नो, उसको अपने पिता की खराब तबियत की सूचना मिलती है। उसने आज तक ट्रेन में रात में कभी अकेले सफर किया नहीं है....... ...

लेखक के बारे में
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शोभा शर्मा

Welcome My Dear Readar🙏 विसंगतियाँ पर रहती है नजर,🔺खेमकुशर (धारावाहिक -116भाग)🔺मलाल है कि- (धारावाहिक -20 भाग पुरस्कृत कलमकार सम्मान प्रथम स्थान)🔺ओ! रेवा तुम फिर आना।(प्रथम पुरस्कार हारर फेस्टीवल)🔺नेह की बाती अरमानों की थाती, (सोशल स्टोरी विद मिस्ट्री *पुरस्कृत) 🔺महाराजा छत्रसाल- मान है सो जान है, ना मानिहै सो जानिहै। (एतिहासिक) 🔺स्क्रपल आफ दी बैटर हाफ (द मर्डर मिस्ट्री- पुरस्कृत) 🔺दी डेंजरस बैट (हारर धारावाहिक) 🔺उमड़-घुमड़ घिर आए रे बदरवा(धारावाहिक-11 भाग पुरस्कृत) 🔺रातों रात-(धारावाहिक-सोशल) 🔺दास्ताने सफर और रात का सफर-(धारावाहिक-हारर) 🔺वेकेंसी-द वे़पायर लव (धारावाहिक- हारर) 🔺समर्पिता (धारावाहिक -पांच भाग- पुरस्कृत-तीसरा स्थान अरण्य कथा) 🔺 हारर की 14 दास्तानें-(हारर फेस्टीवल की पुरस्कृत कथाएं) 🔺देखा हुआ मंजर- (धारावाहिक हारर-पुरस्कृत ) 🔺नेकी की दीवार- (कहानी पुरस्कृत) 🔺विकल्प-(कहानी -संस्मरण) 🔺किसान की बेटी -(कहानी- पुरस्कृत) 🔺लोटा - (कहानी -इमोशनल) 🔺दुर्गा ओ वुमनिया(नारी है शक्ति रुपा) 🔺कुछ खट्टी कुछ मीठी-(डायरी-पुरस्कृत 🔺जीवन के अनोखे रंग-(51 कविताएं) 🔺अगर शब्दों के पंख होते-(51 कविताएं) 🔺मौली क्या करे!(घरेलू हिंसा का एक समाधान) 🔺दिल ढूंढ़ता है फिर वही-(धारावाहिक-14 भाग) 🔺रंग बिरंगी संस्कृति डायरी (पुरस्कृत) 🔺डायरी दिल खुश 🔺हादसे वाली रात- (कहानी पुरस्कृत) 🔺ये अनोखे रंग जीवन के (कविताएं) 🔺मैं स्वीकारती हूं।- (आज की मां की कहानी-समस्या का समाधान) 🔺पोयट्री मैराथन (कविताएं -पुरस्कृत) 🔺रेखा ओ रेखा! जब से तुम्हें देखा-(गीतों भरी कहानी) 🔺किस्सा ए दिल - (प्रेम कहानी- रेडियो दिवस-पुरस्कृत) 🔺प्यार की कोई उम्र नहीं होती। (रोमांस-कहानी-पुरस्कृत) 🔺कुछ यक्ष प्रश्न - (आलेख) 🔺अनायास ही एक रोज (मोटीवेशनल - धारावाहिक यात्रा संस्मरण - कहानी) और भी अनेक रचनाएं प्रतिलिपि पर , स्वागत है पढ़िए और अपनी प्रतिक्रिया, प्रोत्साहन दीजिए🙏 ◆(1) एक थी मल्लिका- उपन्यास- हॉरर,मिस्ट्री "अमेजॉन पर पेपर बैक और किंडल पर (2) रुह के साए- Shopizen.com (POD) प्रिंट आन डिमांड पर मंगवाएं e book on अमेजाँन kindle 1-- Into Darkness-अंधेरे में जागती अतृप्त रुहें, हॉरर मिस्ट्री स्टोरी कलेक्शन, 2-- देशज प्रेत कथाएँ - हॉरर स्टोरीज़ कलेक्शन 3- तेरे मेरे दरमियाँ- रिश्तों की एक कहानी। जन्म-टीकमगढ़, म.प्र.में, शिक्षा -एम.एस.सी (प्राणि शास्त्र ),बी.एड. ◆सृजन-स्वतंत्र लेखन,कथाकार, पारिवारिक, सामाजिक, सस्पेंस, थ्रिलर, हॉरर सभी विधाओं की लगभग 230 कहानियाँ, 20 धारावाहिक, परिचर्चाएं एवं अनेक लेख. कविताएं। पसंदीदालेखन विधा-सामाजिक, प्रेम,सस्पेंस, हारर, रहस्य, फिक्शन स्टोरी. ◆ अनेक राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं सरिता, मुक्ता, गृह शोभा, सरस सलिल, मेरी सहेली, वनिता, गृह लक्ष्मी, मनोरमा, बालहंस, इला भारती, इस्पात भाषा भारती में अनेक कहानियाँ, लेख1992- 2008 के बीच प्रकाशित. ◆पुरुस्कार-प्रतिलिपि हॉरर फेस्टिवल में लिखी गई कहानी-ओ रेवा! कल आना, (नाले वा ) को प्रथम पुरुस्कार। उपन्यास -*मलाल है कि- प्रतिलिपि कलमकार सम्मान में प्रथम स्थान एवं प्रतिलिपि द्वारा अनेक प्रथम,द्वितीय,तृतीय एवं टॉप टेन में स्थान और सम्मान, पुरस्कार एवं सर्टिफिकेट, फ़ेलोशिप, वेबीनार। *सम्मान-मेरी सहेली पत्रिका में कहानी लेखन हेतु प्रशस्ति पत्र, पुरस्कार- दिल्ली प्रेस की कहानी प्रतियोगिता में कहानी-"प्रत्यागत" को पुरस्कार प्राप्त. ◆म.प्र.लेखिका संघ द्वारा लेखन सम्मान ◆मध्य प्रदेश लेखक संघ द्वारा लेखन पुरस्कार ◆नई दुनिया (इन्दौर),एवं दैनिक भास्कर ,नवभारत जबलपुर से अनेक कविताएं, लेख,परिचर्चाएं प्रकाशित एवं पुरस्कार प्राप्त ◆आकाशवाणी छतरपुर से अनेक कहानियां, वार्ताएं, झलकियां प्रसारित एवं अस्थाई उदघोषिका का कार्य. ◆प्रतिलिपि, मातृभारती पर अनेक कहानियाँ, धारावाहिक प्रकाशित.लेखन निरंतर जारी ◆संभाजी राव हाई स्कूल,मुरार ग्वालियर में काफी समय तक अध्यापन का कार्य ◆ पता-शोभा शर्मा w/o श्री मधुसूदन गोस्वामी, नीलकंठनगर, जवाहर रोड, पुराना पन्ना नाका, छतरपुर.म.प्र [email protected], https://www.facebook.com/shobha.sharma.547,1960.shobha on insta.

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    06 दिसम्बर 2018
    रोचक। बस एक छोटी सी बात मुझे खटकी है। जब ट्रैन खाली हुई थी तो साथ में बैठे लोगों ने शन्नो को जगाया क्यों नहीं? मैं मुंबई में लोकल में सफर किया करता था और कई बार हमे सोते हुए यात्री मिल जाते थे। मेरा स्टेशन विरार था जो कि आखिरी स्टेशन था। ऐसे में उन सोते लोगों को मैं या कोई दूसरा यात्री जगा ही दिया करता था। इधर ऐसा न होना मुझे अटपटा लगा।
  • author
    अविचल
    25 अगस्त 2019
    बहुत अच्छी लगी कहानी , शन्नो की स्थिति की कल्पना करके ही डर लगा। आपने सही कहा भलाई करने वालों का अक्सर बुरा होता है फिर भी इंसानियत अभी ज़िंदा है।
  • author
    vijay yadav
    19 सितम्बर 2018
    बहुत ही अच्छी कविता हैं। बकाई में दिल को छू लेने वाली हैं
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    06 दिसम्बर 2018
    रोचक। बस एक छोटी सी बात मुझे खटकी है। जब ट्रैन खाली हुई थी तो साथ में बैठे लोगों ने शन्नो को जगाया क्यों नहीं? मैं मुंबई में लोकल में सफर किया करता था और कई बार हमे सोते हुए यात्री मिल जाते थे। मेरा स्टेशन विरार था जो कि आखिरी स्टेशन था। ऐसे में उन सोते लोगों को मैं या कोई दूसरा यात्री जगा ही दिया करता था। इधर ऐसा न होना मुझे अटपटा लगा।
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    अविचल
    25 अगस्त 2019
    बहुत अच्छी लगी कहानी , शन्नो की स्थिति की कल्पना करके ही डर लगा। आपने सही कहा भलाई करने वालों का अक्सर बुरा होता है फिर भी इंसानियत अभी ज़िंदा है।
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    vijay yadav
    19 सितम्बर 2018
    बहुत ही अच्छी कविता हैं। बकाई में दिल को छू लेने वाली हैं