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चश्मिस भाग १

4.5
33217

ये कहानी हैं एक लड़की की जो बी० एच० यू० में पढ़ती हैं और एक गांव से आये लड़के की जो बी० एच० यू० में पढ़ता हैं । दोनो में कैसे प्यार होता हैं ये कहानी उसे बताती हैं , बनारस और बी० एच० यू० के ...

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चश्मिस भाग 2
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Vipin Yadav
4.4

#चश्मिस_भाग_2 ------------     जब मैने उसे #चश्मिस कहा तो उसने गुस्से मे मुझे  ऐसा घूरा कि अगर भारत मे एक कत्ल करना  माफ होता तो वो मुझे  मार देती  वहीं  दूसरी तरफ उसकी दोनो बाक्सर सहेलियाँ  हँस रही ...

लेखक के बारे में
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Vipin Yadav

मैं ( विपिन यादव )बनारस हिन्दू यूनिर्वसिटी का पूर्व छात्र हूँ , कहानी लिखना पसंद करता हूँ , मेरा एक पेज कुन्दनवा वाला इश्क नाम से जिस पर कहानी लिखी जाती हैं कृपया लाइक करें कहानी जिन लोगो को पसंद आ रही हो फेसबुक पर हिन्दी में ( कुन्दनवा वाला इश्क ) पेज सर्च करें और लाइक करें ताकि आपको नयी कहानी पढ़ने को मिलती रहें , आप सबका सहयोग जरूरी ताकि हम लिखते रहें 9125887108

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Beena Awasthi
    11 अगस्त 2019
    विपिन जी आज आपकी चश्मिश ने मेरा पूरा दिन हड़प लिया।☺☺☺☺ एक बार पढ़ना शुरू किया तो जब तक पूरे 54 भाग पढ़ नहीं लिये बेचैनी लगती रही। खाना बनाना भी मुसीबत लग रहा था। आपके राहुल,अनामिका और प्रियंका की कहानी इतने स्वाभाविक अंदाज में आगे बढ़ती है कि न कहीं कोई गतिरोध अनुभव हुआ और न ही कहीं कोई अस्वाभाविकता ही दिखी। एक ग्रामीण परिवेश और मध्यमवर्गीय युवक युवतियों की स्वाभाविक समस्याओं में दम तोड़ते प्यार की अमिट कहानी बहुत अच्छे से प्रस्तुत किया है आपने। मेरी ओर से इस कहानी के लिये बधाई स्वीकार कीजिये।
  • author
    Sujeet
    25 अगस्त 2019
    कहानी के बारे में लिखने को मुझे तो कोई शब्द ही नही मिल रहा unbelievered story Dil ko touch kar gyi kuchh part me aankho me aansu bhi aa gye जीवन्त कहानी maine ek hi baar me sabhi 54 part padhe is kahani ka koi jawab nhi aap itna achha likhe hai ki aisa lagta hai jaise khud ke sath ho rha ho aap sach me praise aur prize ke hakdar hai
  • author
    26 दिसम्बर 2018
    बढ़िया रचना ।प्रतिलिपि कथा सम्मान के लिए मेरी कहानियां पढ़कर टिप्पणी दें
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    Beena Awasthi
    11 अगस्त 2019
    विपिन जी आज आपकी चश्मिश ने मेरा पूरा दिन हड़प लिया।☺☺☺☺ एक बार पढ़ना शुरू किया तो जब तक पूरे 54 भाग पढ़ नहीं लिये बेचैनी लगती रही। खाना बनाना भी मुसीबत लग रहा था। आपके राहुल,अनामिका और प्रियंका की कहानी इतने स्वाभाविक अंदाज में आगे बढ़ती है कि न कहीं कोई गतिरोध अनुभव हुआ और न ही कहीं कोई अस्वाभाविकता ही दिखी। एक ग्रामीण परिवेश और मध्यमवर्गीय युवक युवतियों की स्वाभाविक समस्याओं में दम तोड़ते प्यार की अमिट कहानी बहुत अच्छे से प्रस्तुत किया है आपने। मेरी ओर से इस कहानी के लिये बधाई स्वीकार कीजिये।
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    Sujeet
    25 अगस्त 2019
    कहानी के बारे में लिखने को मुझे तो कोई शब्द ही नही मिल रहा unbelievered story Dil ko touch kar gyi kuchh part me aankho me aansu bhi aa gye जीवन्त कहानी maine ek hi baar me sabhi 54 part padhe is kahani ka koi jawab nhi aap itna achha likhe hai ki aisa lagta hai jaise khud ke sath ho rha ho aap sach me praise aur prize ke hakdar hai
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    26 दिसम्बर 2018
    बढ़िया रचना ।प्रतिलिपि कथा सम्मान के लिए मेरी कहानियां पढ़कर टिप्पणी दें