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चटिया-मटिया भाग -१

4.6
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दिलीप के घर से तैयार भोजन एकाएक गायब होने लगता है । चोर बर्तन को साफ कर छोड़ जाता है । अभी ऐसी अनोखी चोरी का भेद खुला भी नहीं था कि उसके हाथ से किसी अदृश्य शक्ति ने पांच हजार रुपये छीन लिए ...।।

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चटिया-मटिया  भाग -२
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R.K shrivastava
4.6

चटिया-मटिया भाग --२ दिलीप रोता पीटता हुआ वापस लौटा । अपने स्वजनों तथा परिचितों को सारी बातें बताई ।  दिलीप तथा उसका परिवार भूत-प्रेतों से ही प्रभावित है अब इसमें किसी को संदेह न रहा  ।  फिर से समारु ...

लेखक के बारे में
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R.K shrivastava

मुझे पढ़ना पसंद है । इतिहास, धर्म तथा आध्यात्म मेरा प्रिय विषय है ।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    29 जुन 2019
    अच्छी कहानी। आत्म निर्भरता की ओर इंगित करती है। गरीबी और पढ़ने कीओर इशारा करती है।
  • author
    Amit Suryavanshi "फौजी"
    22 नोव्हेंबर 2019
    भाई ये कहानी तो मुझे मेरे छत्तीसगढ़ राज्य की लगती है...बहोत खूब 1No
  • author
    Gayatriba Jadeja
    12 डिसेंबर 2019
    ohhhh God...esa bhi hota he kya...????? nice story sir
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    29 जुन 2019
    अच्छी कहानी। आत्म निर्भरता की ओर इंगित करती है। गरीबी और पढ़ने कीओर इशारा करती है।
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    Amit Suryavanshi "फौजी"
    22 नोव्हेंबर 2019
    भाई ये कहानी तो मुझे मेरे छत्तीसगढ़ राज्य की लगती है...बहोत खूब 1No
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    Gayatriba Jadeja
    12 डिसेंबर 2019
    ohhhh God...esa bhi hota he kya...????? nice story sir