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खूनी ढाबा भाग-1

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4.0

उस रोज बारिश बहुत जोरो से बरस रही थी, चारो तरफ घने अंधेरे छाय हुए थे । उसी अंधेरे में रमेश की कार इस घने अंधेरे को चीरता हुआ आगे बढ़ रहा था जिसे खुद रमेश ही चला रहा था और बगल वाली सीट पर उसकी ...