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कूज़ा

4.7
2299

भुख मार्च का महीना और बेरों के पेड़ों पर छाई बहार। पीले पीले बेरों से भरी डालियाँ फलों का भार उठाने में असमर्थ। धरती मां की गोद में सिर रख कर विश्राम करने के लिए आतुर। वहीं पेड़ की छाया के नीचे ...

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लंच बॉक्स और मैं
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Damini
4.8
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लेखक के बारे में
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Damini

साहित्य की पगडंडी पर अभी पहला कदम रखा हैं। मंज़िल अभी बहुत दूर है। 🙏

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    विद्या शर्मा
    07 अगस्त 2019
    बहुत ही सुंदर और मार्मिक चित्रण दामिनी हमारे समाज में मां का यह खूबसूरत रूप यदा-कदा देखने को मिल जाता है मां के लिए उसका बच्चा ही सर्वोपरि होता है उसके लिए वह भूखी भी रह सकती है धूप भी सह सकती हैं पर अपने बच्चे पर आंच नहीं आने देती
  • author
    Mamta Upadhyay
    20 मई 2020
    माँ का प्यार यही होता है ,लाजवाब रचना
  • author
    पवनेश मिश्रा
    06 अगस्त 2019
    अति उत्तम दामिनी जी 🙏🌹🙏
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    विद्या शर्मा
    07 अगस्त 2019
    बहुत ही सुंदर और मार्मिक चित्रण दामिनी हमारे समाज में मां का यह खूबसूरत रूप यदा-कदा देखने को मिल जाता है मां के लिए उसका बच्चा ही सर्वोपरि होता है उसके लिए वह भूखी भी रह सकती है धूप भी सह सकती हैं पर अपने बच्चे पर आंच नहीं आने देती
  • author
    Mamta Upadhyay
    20 मई 2020
    माँ का प्यार यही होता है ,लाजवाब रचना
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    पवनेश मिश्रा
    06 अगस्त 2019
    अति उत्तम दामिनी जी 🙏🌹🙏