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" कब्रिस्तान के रहस्य "

4.8
891

" कब्रिस्तान!! इंसान की जिंदगी का आखिरी मुकाम ...!"

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"एक्सपर्ट हांटेड हॉस्टल.........!!"
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पवनेश मिश्रा
4.5

"वेलकम सर।" रिसेप्शन पर लटके हुए इकलौती आंख वाले  ट्रूंक सरीखे दो पाए भूत ने खुशी का इजहार करते हुए कहा "वेलकम टू मोस्ट पॉपुलर एक्सपर्ट होंटेड हॉस्टल इन घोस्ट नगर।" वह अभी भी उल्टा लटका हुआ था ...

लेखक के बारे में
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पवनेश मिश्रा

🇮🇳 सामान्य भारतीय 🇮🇳

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
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    04 मई 2021
    इंसान के दर्द का एहसास, हर पल सिसकता आसमान, हर जुल्म पर तड़पती धरती, हर पाप से त्रस्त अन्तर, ये सब अंत में कब्रिस्तान, मरघट, श्मशान में जाकर शरण लेते हैं। पाप क्यों करता है इंसान, जुल्म क्यों करता है, ये इतना अधर्म वो किसके लिए करता है... ये सारे प्रश्न का एक ही उत्तर हमें समझ आता है कि उनकी बुद्धि पर तमोगुण का प्रभाव अधिक है। यही तमोगुण उनसे नकारात्मकता वाले काम करवाता है। कब्रिस्तान के साथ हर सम्वाद आपके अतुलनीय ज्ञान का सूचक है। शानदार लेखनी के लिए बहुत बहुत बधाई 🌹 🙏 🌹 राधे राधे 🌹 🙏 🌹
  • author
    Manju Pant
    06 मई 2020
    पवनेश आखिरी पडाव ,कब्रस्तान की व्थथा कथा ,अतयन्त मार्मिक तरीके से उकेरी गई तुम्हारी कलम से ,आन्तरिक पीडा का अनुभव देती है ।कैसे तुमने कब्रिस्तान के सीने मे दफन लोगो को ,कब्रिस्तान द्वारा ही अपने मनो भावो को उकेरने का प्रयत्न किया है ,ये तुम्हारी अद्भुत लेखनी ही कर सकती ।एक बेजान चीज को सजी्व कर दिया तुमने ।इससे बेहतर कुछ हो ही नहीं सकता ।कितनी शक्ति है तुम्हारी कलम मे ?मै कायल हूँ इसकी । एक अनमोल बात तुम्हारा उर्दू का बृहत ग्यान लेखनी की शान बढाता है । शुभकामनाएं ।,🌹🙌🌹✍️✍️✍️
  • author
    Arunima Dubey
    06 मई 2020
    वाह!! बेइंतेहा खूबसूरती से आपने कब्रिस्तान का मानवीयकरण कर कितनी ही समाज की कटु सच्चाईयो से रूबरू करा दिया, और अत्यंत सुंदर उर्दू शब्दों के प्रयोग से लेख पढते वक्त एकदम से कब्रिस्तान की सजीवता का भान होता है और सच में ऐसा लगता है कब्रिस्तान ही अपनी व्यथा बता रहा है बहुत सुन्दर सृजन हेतु अनंत बधाई पवनेश जी👌👌👌👌🙏🙏💐💐💐💐
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    04 मई 2021
    इंसान के दर्द का एहसास, हर पल सिसकता आसमान, हर जुल्म पर तड़पती धरती, हर पाप से त्रस्त अन्तर, ये सब अंत में कब्रिस्तान, मरघट, श्मशान में जाकर शरण लेते हैं। पाप क्यों करता है इंसान, जुल्म क्यों करता है, ये इतना अधर्म वो किसके लिए करता है... ये सारे प्रश्न का एक ही उत्तर हमें समझ आता है कि उनकी बुद्धि पर तमोगुण का प्रभाव अधिक है। यही तमोगुण उनसे नकारात्मकता वाले काम करवाता है। कब्रिस्तान के साथ हर सम्वाद आपके अतुलनीय ज्ञान का सूचक है। शानदार लेखनी के लिए बहुत बहुत बधाई 🌹 🙏 🌹 राधे राधे 🌹 🙏 🌹
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    Manju Pant
    06 मई 2020
    पवनेश आखिरी पडाव ,कब्रस्तान की व्थथा कथा ,अतयन्त मार्मिक तरीके से उकेरी गई तुम्हारी कलम से ,आन्तरिक पीडा का अनुभव देती है ।कैसे तुमने कब्रिस्तान के सीने मे दफन लोगो को ,कब्रिस्तान द्वारा ही अपने मनो भावो को उकेरने का प्रयत्न किया है ,ये तुम्हारी अद्भुत लेखनी ही कर सकती ।एक बेजान चीज को सजी्व कर दिया तुमने ।इससे बेहतर कुछ हो ही नहीं सकता ।कितनी शक्ति है तुम्हारी कलम मे ?मै कायल हूँ इसकी । एक अनमोल बात तुम्हारा उर्दू का बृहत ग्यान लेखनी की शान बढाता है । शुभकामनाएं ।,🌹🙌🌹✍️✍️✍️
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    Arunima Dubey
    06 मई 2020
    वाह!! बेइंतेहा खूबसूरती से आपने कब्रिस्तान का मानवीयकरण कर कितनी ही समाज की कटु सच्चाईयो से रूबरू करा दिया, और अत्यंत सुंदर उर्दू शब्दों के प्रयोग से लेख पढते वक्त एकदम से कब्रिस्तान की सजीवता का भान होता है और सच में ऐसा लगता है कब्रिस्तान ही अपनी व्यथा बता रहा है बहुत सुन्दर सृजन हेतु अनंत बधाई पवनेश जी👌👌👌👌🙏🙏💐💐💐💐