अब तो कनक चंदन से मिलने को बेचैन थी ..। कब मिल कर वह ..अपने दिल की बात उससे कह दे..। क्योंकि घर में उठी बातों से उसका दिल पल-पल बैठा जा रहा था..। घर का सारा काम खत्म करते ही वह पानी भरने के लिए ...
अरे वाह श्री श्री जी कितने सुंदर ढग से कहानी को आगे बढ़ाया है
सच में कनक और चंदन की बातें दिन को लुभा गई
कहानी का यह भाग पढ़कर बहुत अच्छा लगा
जैसे आप कविता लिखने में माहिर है
वैसे भी कहानी लेखन में आप का कोई जवाब नहीं
बहुत-बहुत शुभकामनाएं
रिपोर्ट की समस्या
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