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अधूरा प्यार - 5

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4.4

रात के दो बजे थे,चारों और सन्नाटा था हल्की सी भी कोई आवाज़ होतो आसानी से सुनाई दे जाये। उस सन्नाटे को चीरते हुए झींगुर और कीड़ें मकोड़ों की आवाज रह रह कर उस सन्नाटे को भंग कर रही थी। सडक़ हल्की बारिश ...