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अद्विका - एक पवित्र प्रेम कहानी

4.7
19927

ये मेरी नई रचना है। आज मम्मी अपने वक़्त की कुछ बातें बता रही थी । उनकी बातों को सुनकर इस बात का एहसास हुआ कि पहले की औरतों की दशा हम से कही गुना ज्यादा खराब थी। उन्होंने बातों बातों मे कुछ ऐसा ...

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आर्या राय
4.8

( कहानी ज़रूर बिहार की है पर मुझे बिहारी आती नही है तो हिंदी से ही काम चला लीजियेगा।) बिहार ,माधोपुर दोपहर का वक़्त था। लगभग सभी औरते अपने घरों मे सो रही थी और सभी आदमी दूरा / बथान ( जहाँ आदमी लगभग ...

लेखक के बारे में
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आर्या राय

" बंद पलकों तले सजे ख्वाबों मे , प्यार के हसीन रंग भरती हूँ । इश्क़ अल्फ़ाज़ों मे नही एहसासों मे बयाँ किया करती हूँ । My You tube channel : https://www.youtube.com/@IshqdiariesbyAarya Channel name : Ishq Diaries

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Rupanjali Dash
    09 जून 2025
    ek बात रखनी थी। इसे कोई v अपनी पर न ले। अपने लिखा कि पहले औरतों का जीवन बहुत तकलीफदेह था। इसे मैं 👍 करती हूं।पर उसके बाद लिखा कि अब थोड़ा सुधरा है इससे मैं सहमत नहीं हूं। औरतों की दुर्दशा को देख के बहुत से कानून बनाया गया।जिसका फायदा उन लेडीज को मिलता है जो गलत होते है।में खुद देखी हूं। ऐसे बहुत केस जहां सास ससुर को पुलिस स्टेशन की चार लगाना पड़ा है इनोसेंट होते हुए।बहुत से पति चुपचाप पत्नी की बात इसलिए मानते है क्योंकि डर है मुंह खोलेंगे तो अनर्थ हो जाएगा।बेटियों को बांध के रखना सही नहीं सोच के छूट दिया गया। उस छूट का कैसे इस्तेमाल करते है आजकल के लड़कियां बताने की जरूरत नहीं।चाहे बंगलौर की सूइसाइड केस हो या अब रिसेंटली राजा रघुवेन्द्र का मॉडर केस हो। लड़कियां क्या से क्या हो गए।प्यार के नाम पर जानबर बन गए है। क्राइम का मैन रीजन लड़की ही होती है ज्यादातर।लेकिन एक दुख की बात yeh v hai ki जो एक्चुअल पीड़िता है वो पीड़ित ही रहती है। न कानून न समाज कोई उसके साथ नहीं होते।अगर किसीको इस बात से ऐतराज हो तो में माफी मांगती हूं।पर मैने बहुत सी घर टूटते हुए देखा है इन लड़कियों की सो कॉल्ड प्यार ही है। बच्चे होने बाद v pati ko छोड़ देती है या अफेयर रखती है।लेकिन बेचारा पति कानून,पुलिस, महिला आयोग की डर से चुप रह जाता है।कुछ लड़की तो सिर्फ पैसा कमाने के लिए शादी करते है।मेरी खुद की एक रिश्तेदार की बहू अब तक आठ शादी कर चुकी है। इसलिए जब v औरतों ko bechari,abla nari sunti hun toh डेली badhte क्राइम आंखों के सामने a jate hai।
  • author
    L B Yadav
    10 अगस्त 2022
    सामाजिक कुरीतियों को बहुत बेहतरीन तरीके से उकेरा गया है। मैं इस कहानी पर "वेब सीरीज" बनाना चाहता हूं। लेखक से परमीशन लेने के लिए मुझे क्या करना होगा। कृपया +919987279790 पर कॉल करके अवश्य बतायें।
  • author
    Manju Verma
    13 अप्रैल 2023
    संवेदनशील भावपूर्ण मर्मस्पर्शी रचना
  • author
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Rupanjali Dash
    09 जून 2025
    ek बात रखनी थी। इसे कोई v अपनी पर न ले। अपने लिखा कि पहले औरतों का जीवन बहुत तकलीफदेह था। इसे मैं 👍 करती हूं।पर उसके बाद लिखा कि अब थोड़ा सुधरा है इससे मैं सहमत नहीं हूं। औरतों की दुर्दशा को देख के बहुत से कानून बनाया गया।जिसका फायदा उन लेडीज को मिलता है जो गलत होते है।में खुद देखी हूं। ऐसे बहुत केस जहां सास ससुर को पुलिस स्टेशन की चार लगाना पड़ा है इनोसेंट होते हुए।बहुत से पति चुपचाप पत्नी की बात इसलिए मानते है क्योंकि डर है मुंह खोलेंगे तो अनर्थ हो जाएगा।बेटियों को बांध के रखना सही नहीं सोच के छूट दिया गया। उस छूट का कैसे इस्तेमाल करते है आजकल के लड़कियां बताने की जरूरत नहीं।चाहे बंगलौर की सूइसाइड केस हो या अब रिसेंटली राजा रघुवेन्द्र का मॉडर केस हो। लड़कियां क्या से क्या हो गए।प्यार के नाम पर जानबर बन गए है। क्राइम का मैन रीजन लड़की ही होती है ज्यादातर।लेकिन एक दुख की बात yeh v hai ki जो एक्चुअल पीड़िता है वो पीड़ित ही रहती है। न कानून न समाज कोई उसके साथ नहीं होते।अगर किसीको इस बात से ऐतराज हो तो में माफी मांगती हूं।पर मैने बहुत सी घर टूटते हुए देखा है इन लड़कियों की सो कॉल्ड प्यार ही है। बच्चे होने बाद v pati ko छोड़ देती है या अफेयर रखती है।लेकिन बेचारा पति कानून,पुलिस, महिला आयोग की डर से चुप रह जाता है।कुछ लड़की तो सिर्फ पैसा कमाने के लिए शादी करते है।मेरी खुद की एक रिश्तेदार की बहू अब तक आठ शादी कर चुकी है। इसलिए जब v औरतों ko bechari,abla nari sunti hun toh डेली badhte क्राइम आंखों के सामने a jate hai।
  • author
    L B Yadav
    10 अगस्त 2022
    सामाजिक कुरीतियों को बहुत बेहतरीन तरीके से उकेरा गया है। मैं इस कहानी पर "वेब सीरीज" बनाना चाहता हूं। लेखक से परमीशन लेने के लिए मुझे क्या करना होगा। कृपया +919987279790 पर कॉल करके अवश्य बतायें।
  • author
    Manju Verma
    13 अप्रैल 2023
    संवेदनशील भावपूर्ण मर्मस्पर्शी रचना