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जिंदा लाश

4.4
3570

सांवरी जैसे ही घर में दाखिल हुई तो सास कोजलती नजरों से घूरते पाया। जहरबुझे शब्द कानों मे पड़े " इतनी देर कहाँ लगा दी रे कुलछनी ? पड़ोस से दूध लाने ही तो गयी थी.. " "रास्ते मे मास्टरनी जी मिल गयी थी " ...

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लेखक के बारे में
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बरखा अरोड़ा
समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    ☀️
    30 अक्टूबर 2020
    heart touching story 👌
  • author
    Umed Singh
    28 अक्टूबर 2021
    कहानी अच्छी लगी सांवरी ने हिमत ज़ुटाई है अगर हिमंत है तो कठिन कार्य भी आशानी से हो सकता है
  • author
    Pradeep Sharma
    29 मई 2020
    सांवरी ने हिम्मत की बस औरत अगर हिम्मत से काम ले तो हर मुश्किल आसान हो जाती है
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    ☀️
    30 अक्टूबर 2020
    heart touching story 👌
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    Umed Singh
    28 अक्टूबर 2021
    कहानी अच्छी लगी सांवरी ने हिमत ज़ुटाई है अगर हिमंत है तो कठिन कार्य भी आशानी से हो सकता है
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    Pradeep Sharma
    29 मई 2020
    सांवरी ने हिम्मत की बस औरत अगर हिम्मत से काम ले तो हर मुश्किल आसान हो जाती है