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ये नववर्ष हमें स्वीकार नही(कविता) रामधारी सिंह दिनकर

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ये नववर्ष हमें स्वीकार नहीं है अपना ये त्यौहार नहीं है अपनी ये तो रीत नहीं है अपना ये व्यवहार नहीं धरा ठिठुरती है सर्दी से आकाश में कोहरा गहरा है बाग़ बाज़ारों की सरहद पर सर्द हवा का पहरा ...

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लेखक के बारे में
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Prof INDU SINGH

भूतपूर्व प्रवक्ता विवेकानन्द डिग्री कॉलेज, हैदराबाद (अलग-अलग विद्यालयों एवं कॉलेज में लगभग 12 वर्षों का शिक्षण अनुभव)

समीक्षा
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    Girdharilal Seervi
    09 जनवरी 2021
    अच्छी कविता है
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    Girdharilal Seervi
    09 जनवरी 2021
    अच्छी कविता है