“मैं DJ रवीश, प्रस्तुत करता हूं आप सब प्यार करने वालों के नाम अगला गाना… stay tuned।” धीमी आवाज़ में ये गाना रेडियो पे चल पड़ा “ये मोह मोह के धागे, तेरी उँगलियों से जा उलझे। कोई टोह टोह ना लागे, ...
कभी नदिया हूँ, कभी जल की अल्हड़ धारा
कभी स्थिर उस झील के जैसे जो हो समन्दर सा गहरा…
कभी बरस जाती हूँ बन के बूंदों की झड़ी,
कभी रह जाती बादलों में ' मेघा' बन खड़ी!!
- विघा (VIGHA)
- 08/07/22
सारांश
कभी नदिया हूँ, कभी जल की अल्हड़ धारा
कभी स्थिर उस झील के जैसे जो हो समन्दर सा गहरा…
कभी बरस जाती हूँ बन के बूंदों की झड़ी,
कभी रह जाती बादलों में ' मेघा' बन खड़ी!!
- विघा (VIGHA)
- 08/07/22
रिपोर्ट की समस्या
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