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‘ये जाड़ा कहाँ से आया माँ...’

4.2
354

अभी-अभी थी जोर की गर्मी, ये जाड़ा कहाँ से आया माँ। जल्दी-जल्दी मौसम बदले, ये कैसे है, हो पाता माँ। दादी-दादी काँप रहे हैं, कंबल उन्हें उड़ा दो माँ। पानी लगता ठंडा-ठंडा, अलाव ‘दो’ जलवा दो माँ। चाय ...

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लेखक के बारे में
author
उमेश चंद्रा
समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    शिव मोहन यादव
    09 നവംബര്‍ 2016
    achchhi kalpana hai, "JADA KAHA SE AAYA MAA" badhaayi.
  • author
    Jyoti Agnihotri "Nitya"
    17 സെപ്റ്റംബര്‍ 2019
    बचपन की यादें ताज़ा हो गयीं
  • author
    09 നവംബര്‍ 2016
    वाह उमरा जी सुन्दर कविता
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  • author
    शिव मोहन यादव
    09 നവംബര്‍ 2016
    achchhi kalpana hai, "JADA KAHA SE AAYA MAA" badhaayi.
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    Jyoti Agnihotri "Nitya"
    17 സെപ്റ്റംബര്‍ 2019
    बचपन की यादें ताज़ा हो गयीं
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    09 നവംബര്‍ 2016
    वाह उमरा जी सुन्दर कविता