ना कोई आहट था, ना कोई साया था! बस तेरी नजरों में, हर पल रहने का इरादा भी था! ना कोई जीने की तमन्नॉ थी, ना मरने का बहाना था! तुम इठलाती नदी की धारा थी, उसी में मुझे भी बह जाना था! क्युकी ये दिल तो एक ...
राज दवे के सीने में
एक चाहत भी पुराना था,
तुमसे मिलना चाहत मेरा,
केवल तुमको पाना था ।।
एक कॉलेज का जमाना था
जब दिल पगली पे दीवाना था।।
आपकी रचना बहुत अच्छा है लिखते रहिए।।
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