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यशोधरा का आर्तनाद

4.5
614

जो तुम कह देते एक बार जाओगे सत्य की खोज में करने विश्व का त्राण भर बाँहों का आलंगन ललाट पर टीका और चुम्बन विदा कर देती नाथ पर तुम पलायन कर गए छोड़ सोता ,रात के अँधेरे में तुम्हे डर था कि मेरे आंसुओं ...

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लेखक के बारे में
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कविता विकास

नाम - कविता विकास ( वरिष्ठ शिक्षिका और लेखिका ) शिक्षा - एम.ए. (अंग्रेजी ,अर्थशास्त्र ),बी. एड.,पी.जी.डी.(पत्रकारिता),सी टेट ब्लॉग लिंक - काव्य वाटिका http://kavitavikas.blogspot.in/ http://koylanagar.blogspot.in/ ई मेल- kavitavikas [email protected] कृतियाँ - दो कविता संग्रह (लक्ष्य और कहीं कुछ रिक्त है )प्रकाशित । साझा कविता संग्रह (हृदय तारों का स्पंदन ) ,(खामोश ,ख़ामोशी और हम ), (शब्दों की चहलकदमी) और (सृजक )प्रकाशित । दैनिक समाचार पत्र - पत्रिकाओं ,साहित्यिक पत्रिकाओं व लघु पत्रिकाओं में कविताएँ ,कहानियाँ ,लेख और विचार प्रकाशित ।ई -पत्रिकाओं में नियमित लेखन ।इंक़लाब ,दृष्टिपात ,शब्ददूत,उत्कर्ष मेल, सम्यक भारत , वुमेन ऑन टॉप , शब्दिता ,हिंदी चेतना ,वटवृक्ष , माटी ,नव्या ,लोकसत्य,आज का अर्जुन ,मेट्रो उजाला , लोकजंग ,सद्भावना सन्देश ,वाकधारा, अभिनव मीमांसा ,यादें, युग गरिमा , सृजनलोक ,अभिनव इमरोज़ , एक और अंतरीप ,हमारा तिस्ता - हिमालय , वार्तालोक ,अभिनव प्रयास ,नयी धारा , भव्य भास्कर, स्कैनर ,सन्मार्ग ,संवृद्ध सुखी परिवार ,संगम , अन्वेषी , प्रतिमान , अंजुम ,आधुनिक साहित्य ,सर्वप्रथम ,पूरी दुनिया , नए हस्ताक्षर, जागरण सखी , गृहलक्ष्मी ,मेरी सजनी ,वनिता, बिंदिया, दमखम , शब्द सरिता ,आधी आबादी , हिमतरु ,समकालीन स्पंदन ,जनसंदेश टाइम्स ,नव निकष ,इंडियन हेल्पलाइन ,बालहंस ,जनसत्ता , फेमिना ,गगनांचल , मध्य प्रदेश जनसंदेश ,दबंग दुनिया ,पूर्वांचल प्रहरी ,ट्रू मीडिया ,अटूट बंधन , नई दुनिया , दीवान मेरा,सिम्पली जयपुर, समाचार आलोकपर्व ,कल्पतरु एक्सप्रेस,मरुतृण ,हरिभूमि ,साहित्य यात्रा ,कादम्बिनी, अक्षर पर्व, परिकथा ,परिंदे , हिंदुस्तान, दैनिक जागरण ,अमर उजाला ,प्रभात खबर ,दैनिक भास्कर(मधुरिमा) और अन्य पत्रिकाओं में लेख और रचनाएं प्रकाशित सम्मान - विशिष्ट हिंदी सेवी सम्मान ,भारत गौरव सम्मान - २०१२,रंजन कलश शिव सम्मान ,नारायणी साहित्य अकादमी अवार्ड- 2012, राजीव गाँधी एक्सीलेंसी एवार्ड 2013, प्रभात खबर प्रतिभा सम्मान 2014, दैनिक जागरण संगिनी सम्मान सम्प्रति - डी . ए. वी . संस्थान,कोयलानगर,धनबाद अन्य उपलब्धियां - कोल इंडिया लिमिटेड ,स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ,सी. बी .आई .,विद्यालयों , रेडियो स्टेशन, कवि सम्मलेन और अनेक संस्थानों के सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए मंच संचालिका और उद्घोषिका का काम किया

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  • author
    Lalit Garg
    13 अक्टूबर 2015
    ‘यशोधरा का आर्तनाद’ कविता विकास की एक मार्मिक कविता है, जीवंत है,  यह नारी जीवन की विडम्बना - विवशता का बेवाक प्रस्तुतीकरण है। गहरी संवेदनशीलता, ताजगी, अभिनव कल्पना, भाव-प्रवणता, भाषा पर अनोखी पकड़, शब्द-चयन कुल मिलाकर अभिव्यक्ति-कौशल एवं नारी जीवन का जीवंत चित्रण से सजी है यह कविता। हिन्दी काव्य-जगत को कविता विकास का यह एक अनमोल उपहार है। --- ललित गर्ग 
  • author
    Vikas Kumar
    11 अक्टूबर 2015
    Kavita jee Ki Yasodhara sachmuch is Jeevan Ki satyata ko ujagar karti hui , is samaj me vyapt prush mansikta per karara parhar karte huye hamare antarman ko Chu jati hai. Yasodha Ki es tadapti aur bilakhati vedna ka marmik chitran is Kavita men dekhne ko milta hai.. Sachmuch ek saty Ki chipi hui pahlu ko ujagar karti hai.
  • author
    Satyendra Kumar Upadhyay
    21 अक्टूबर 2015
    आलंगन , ज़ज़्ब , जैसे शब्द सबकुछ दर्शा रहे हैं । अत्यंत सारहीन व अप्रासांगिक कविता । वाह री राष्ट्र भाषा ।
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    Lalit Garg
    13 अक्टूबर 2015
    ‘यशोधरा का आर्तनाद’ कविता विकास की एक मार्मिक कविता है, जीवंत है,  यह नारी जीवन की विडम्बना - विवशता का बेवाक प्रस्तुतीकरण है। गहरी संवेदनशीलता, ताजगी, अभिनव कल्पना, भाव-प्रवणता, भाषा पर अनोखी पकड़, शब्द-चयन कुल मिलाकर अभिव्यक्ति-कौशल एवं नारी जीवन का जीवंत चित्रण से सजी है यह कविता। हिन्दी काव्य-जगत को कविता विकास का यह एक अनमोल उपहार है। --- ललित गर्ग 
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    Vikas Kumar
    11 अक्टूबर 2015
    Kavita jee Ki Yasodhara sachmuch is Jeevan Ki satyata ko ujagar karti hui , is samaj me vyapt prush mansikta per karara parhar karte huye hamare antarman ko Chu jati hai. Yasodha Ki es tadapti aur bilakhati vedna ka marmik chitran is Kavita men dekhne ko milta hai.. Sachmuch ek saty Ki chipi hui pahlu ko ujagar karti hai.
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    Satyendra Kumar Upadhyay
    21 अक्टूबर 2015
    आलंगन , ज़ज़्ब , जैसे शब्द सबकुछ दर्शा रहे हैं । अत्यंत सारहीन व अप्रासांगिक कविता । वाह री राष्ट्र भाषा ।