ये जीवन का कैसा अजीब षड्यंत्र, जहाँ हर कदम पर, बदलता है तंत्र। फिर भी, जीना है हर पल को संवारकर, क्योंकि यही तो है जीवन, यही तो है प्यार। चाहे कितना भी जीवन रचे षड्यंत्र पर जीने का कभी न भूलेंगे हम ...
पढ़ाना हमारा पेशा नहीं तो चाहत है,
हमारे जीवन में हमारे छात्र ही सबकुछ है।
"बिखरे हुए शब्दों को,
मिलाने का प्रयास करते हैं,
और उनसे एक,
गहरी भावना को जन्म देते हैं।"
भावना इतनी गहरी होगी,
इसका हम दावा नहीं करते,
पर प्रयास तो गहराई तक,
पहुंचने का ही होती है।
सारांश
पढ़ाना हमारा पेशा नहीं तो चाहत है,
हमारे जीवन में हमारे छात्र ही सबकुछ है।
"बिखरे हुए शब्दों को,
मिलाने का प्रयास करते हैं,
और उनसे एक,
गहरी भावना को जन्म देते हैं।"
भावना इतनी गहरी होगी,
इसका हम दावा नहीं करते,
पर प्रयास तो गहराई तक,
पहुंचने का ही होती है।
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