वो टीचर धन्य हैं, जो मुझे मार कर रस्ते पर ले आए, मैं बस्ते में कापी, किताब रख, घर से विद्यालय आता था, पर किताब बस्ते से निकलता नहीं, सिर्फ खेल में दिल बहलाता था, कुछ भी पूछा जाता तो, चुप चाप खड़ा हो ...
वो टीचर धन्य हैं, जो मुझे मार कर रस्ते पर ले आए, मैं बस्ते में कापी, किताब रख, घर से विद्यालय आता था, पर किताब बस्ते से निकलता नहीं, सिर्फ खेल में दिल बहलाता था, कुछ भी पूछा जाता तो, चुप चाप खड़ा हो ...