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वो लडका

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4.8

एक शाम मैं खामोश सी बैठी थी उस किलकिल करती नदी के उंचे से टीले पे अपनी किताब लिए, सोच रही थी उन पर्वतो पे बहती नदी को इन पन्नो का मोड दे दुं एक प्यारी सी कहानी की तरह, भले ही आसपास के फुलो का रंग और ...