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वो लडका

4.8
337

एक शाम मैं खामोश सी बैठी थी उस किलकिल करती नदी के उंचे से टीले पे अपनी किताब लिए, सोच रही थी उन पर्वतो पे बहती नदी को इन पन्नो का मोड दे दुं एक प्यारी सी कहानी की तरह, भले ही आसपास के फुलो का रंग और ...

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दिव्या गोर

Things around you is nothing but your own reflection

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Manjit Singh
    06 सितम्बर 2020
    आपकी कहानी की सराहना केलिए मेरे पास शब्द नहीं। बहुत बहुत आभार शुक्रिया
  • author
    Jagrati Pushkarna
    25 जून 2018
    superb.... nice.. 👌👍👌✌
  • author
    Krishna Rb
    12 जून 2020
    super
  • author
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  • author
    Manjit Singh
    06 सितम्बर 2020
    आपकी कहानी की सराहना केलिए मेरे पास शब्द नहीं। बहुत बहुत आभार शुक्रिया
  • author
    Jagrati Pushkarna
    25 जून 2018
    superb.... nice.. 👌👍👌✌
  • author
    Krishna Rb
    12 जून 2020
    super