
 प्रतिलिपिदोस्तों कहानी एक सत्य और कल्पना का मेल है। आशा करता हूँ आपको पसंद आएगी।मैं वक़्त न जाया करते हुए आपको सीधे एक अनोखी दास्ताँ से रूबरू कराता हूँ। बात उन दिनों की है जब मैं और मेरे मित्र रेयांश इंटरमीडिएट की पढ़ाई कर के प्रतिश्ठित दिल्ली यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया।चूंकि रेयांश विज्ञान वर्ग और मैं कला वर्ग से था इसलिए हमें अलग अलग कॉलेजों में दाखिला मिला।हम जैसे तैसे पढ़ाई में व्यस्त रहने लगे।कॉलेज में होने के नाते जम कर मौज मस्ती भी होती थी।मेरे क्लास में एक लड़की थी मायरा।वो यहाँ अपने माँ के साथ रह ...
रिपोर्ट की समस्या
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