इस दुनिया में ऐसा क्यों होता है कि किसी-किसी से जब पहली बार मिलते हैं,तब एक करंट-सा लगता है।ऐसा महसूस होता है कि इस व्यक्ति को हम बरसों से जानते हैं।दोपहर के सूरज में बनने वाली छाया की तरह आरंभ ...
स्वान्तः सुखाय रघुनाथ गाथा।
यही मेरा ध्येय है।जब इच्छा हुई।कल्पना ने उड़ान भरी और लेखनी शुरु।लिखना तभी संपन्न होता है जब रचना पूर्ण हो जाये।घंटा भर या दो-तीन घंटे लगातार।
विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आलेख,कवितायें,कथायें आदि प्रकाशित एवम् आकाशवाणी से प्रसारित।
सम्प्रति-कार्यक्रम अधिशासी,आकाशवाणी,दरभंगा।
चलभाष-9852230568.
सारांश
स्वान्तः सुखाय रघुनाथ गाथा।
यही मेरा ध्येय है।जब इच्छा हुई।कल्पना ने उड़ान भरी और लेखनी शुरु।लिखना तभी संपन्न होता है जब रचना पूर्ण हो जाये।घंटा भर या दो-तीन घंटे लगातार।
विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आलेख,कवितायें,कथायें आदि प्रकाशित एवम् आकाशवाणी से प्रसारित।
सम्प्रति-कार्यक्रम अधिशासी,आकाशवाणी,दरभंगा।
चलभाष-9852230568.
सरल भाषा में सारे सम्बन्धों को परिभाषित करना इतना आसान नहीं जितनी आसानी से आपने कर दिया। एक पारिवारिक फ़िल्म चल रही थी मन - मस्तिष्क में।
सरलता, सहजता, आदर्श एवं सम्बन्धों की व्यावहारिक व्याख्या बहुत ही प्रभावशाली लगा।
प्रसंशा के लिए शब्द कम पड़ गए।
लीक से हटकर एक उच्च स्तर की कथा के लिए आपको बहुत-बहुत बधाई💐💐💐
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सरल भाषा में सारे सम्बन्धों को परिभाषित करना इतना आसान नहीं जितनी आसानी से आपने कर दिया। एक पारिवारिक फ़िल्म चल रही थी मन - मस्तिष्क में।
सरलता, सहजता, आदर्श एवं सम्बन्धों की व्यावहारिक व्याख्या बहुत ही प्रभावशाली लगा।
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