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वो कुछ और था

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5562

इस दुनिया में ऐसा क्यों होता है कि किसी-किसी से जब पहली बार मिलते हैं,तब एक करंट-सा लगता है।ऐसा महसूस होता है कि इस व्यक्ति को हम बरसों से जानते हैं।दोपहर के सूरज में बनने वाली छाया की तरह आरंभ ...

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लेखक के बारे में

स्वान्तः सुखाय रघुनाथ गाथा। यही मेरा ध्येय है।जब इच्छा हुई।कल्पना ने उड़ान भरी और लेखनी शुरु।लिखना तभी संपन्न होता है जब रचना पूर्ण हो जाये।घंटा भर या दो-तीन घंटे लगातार। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आलेख,कवितायें,कथायें आदि प्रकाशित एवम् आकाशवाणी से प्रसारित। सम्प्रति-कार्यक्रम अधिशासी,आकाशवाणी,दरभंगा। चलभाष-9852230568.

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    nidhi Bansal "Nidhi"
    30 अगस्त 2018
    सबसे अलग कहानी।कुछ नही बहुत कुछ ऐसा था जो सबके जैसा था किन्तु फिर भी सबसे अलग।
  • author
    Ajay Kumar
    07 अक्टूबर 2018
    nice story really 💓 heart' touching story
  • author
    Shashi Bhushan Mallik
    05 सितम्बर 2020
    सरल भाषा में सारे सम्बन्धों को परिभाषित करना इतना आसान नहीं जितनी आसानी से आपने कर दिया। एक पारिवारिक फ़िल्म चल रही थी मन - मस्तिष्क में। सरलता, सहजता, आदर्श एवं सम्बन्धों की व्यावहारिक व्याख्या बहुत ही प्रभावशाली लगा। प्रसंशा के लिए शब्द कम पड़ गए। लीक से हटकर एक उच्च स्तर की कथा के लिए आपको बहुत-बहुत बधाई💐💐💐
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    nidhi Bansal "Nidhi"
    30 अगस्त 2018
    सबसे अलग कहानी।कुछ नही बहुत कुछ ऐसा था जो सबके जैसा था किन्तु फिर भी सबसे अलग।
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    Ajay Kumar
    07 अक्टूबर 2018
    nice story really 💓 heart' touching story
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    Shashi Bhushan Mallik
    05 सितम्बर 2020
    सरल भाषा में सारे सम्बन्धों को परिभाषित करना इतना आसान नहीं जितनी आसानी से आपने कर दिया। एक पारिवारिक फ़िल्म चल रही थी मन - मस्तिष्क में। सरलता, सहजता, आदर्श एवं सम्बन्धों की व्यावहारिक व्याख्या बहुत ही प्रभावशाली लगा। प्रसंशा के लिए शब्द कम पड़ गए। लीक से हटकर एक उच्च स्तर की कथा के लिए आपको बहुत-बहुत बधाई💐💐💐