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वो काली रात और दो मुँहीं डायन!

3.8
26532

उनकी पूरी बात सुनते ही एक वाचमैन बोल पड़ा, “अच्छा हुआ कि गुड़िया आ गई, नहीं तो तुम लोगों का क्या हाल होता, तुम लोग समझ नहीं पाते। तुम लोगों का भाग्य बहुत ही अच्छा है कि गुड़िया आ गई। बहुत भली है ...

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लेखक के बारे में

प्रभाकर पाण्डेय जन्मतिथि :०१-०१-१९७६ जन्म-स्थान :गोपालपुर, पथरदेवा, देवरिया (उत्तरप्रदेश) शिक्षा :एम.ए (हिन्दी), एम. ए. (भाषाविज्ञान)  पिछले 18-19 सालों से हिन्दी की सेवा में तत्पर। पूर्व शोध सहायक (Research Associate), भाषाविद् के रूप में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आई.आई.टी.) मुम्बई के संगणक एवं अभियांत्रिकी विभाग में भाषा और कंप्यूटर के क्षेत्र में कार्य। कई शोध-प्रपत्र राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में प्रस्तुत। वर्तमान में सी-डैक मुख्यालय, पुणे में कार्यरत। विभिन्न हिंदी, भोजपुरी पत्र-पत्रिकाओं में नियमित लेखन।

समीक्षा
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  • author
    Yogesh Mahiya
    26 मई 2018
    bakwaas story uhh.10 minute waste ho gaye plz esi story na banaya kare logo ka time waste hota h
  • author
    tehseen
    18 दिसम्बर 2018
    thodi Aur lambi honi chaihye thi Aur thodi clear bhi nahi thi kosis achi thi
  • author
    Prabhanshu Moundekar
    14 जून 2018
    bhai bahut badhiya story hai yaar...
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    Yogesh Mahiya
    26 मई 2018
    bakwaas story uhh.10 minute waste ho gaye plz esi story na banaya kare logo ka time waste hota h
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    tehseen
    18 दिसम्बर 2018
    thodi Aur lambi honi chaihye thi Aur thodi clear bhi nahi thi kosis achi thi
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    Prabhanshu Moundekar
    14 जून 2018
    bhai bahut badhiya story hai yaar...