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वो अफसाना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन
उसे इक खूबसूरत मोड़ देकर छोडना अच्छा...
ये चंद पंक्ति साहिर जी की मुझे प्रिय है। गायकी, नृत्य लेखन, पेंटिंग की शौकीन मिज़ाज। अकेले रहना और अंतर्मन से बातें करना पंसद है। योग साधना आध्यात्मिक रुचि। संवेदनशील भाव।प्रकृति के करीब रहना आदत है। पक्षियों पशु से लगाव है। प्रतिलिपि पर मेरा आगमन अगस्त 2018 में हुआ। ये सिलसिला चल रहा है और चलता रहेगा। प्रतिलिपि के सफर में बहुत बेहतरीन उतार चढ़ाव ने मुझे बहुत कुछ सिखाया है। बहुत से समालोचक आलोचकों से। बहुत कुछ सीखा आलोचना एक साबुन की तरह मेरे मार्गदर्शक की तरह रही देवभूमि उत्तराखंड से हूँ । किसी को आहत नहीं करती भले मै संवेदना समेट लूं जीवन रुकता नहीं अंतहीन सफर है। धन्यवाद।
रिपोर्ट की समस्या
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