pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

कौन ज्यादा बड़ा?

4.3
2429

बहुत साधारण सी दिखने वाली चीजों में अक्सर गहराई बहुत होती है। उन गहराईओं में जाना मुश्किल होता है, उसके लिए वक़्त निकलना मुश्किल होता है। पर इंसान हैं हम ,हमारा धर्म है मुश्किलों को समझाना और हल ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
प्रिया सिंह

भावनाओं को शब्द देने की कोशिश करती हूँ , अपने आस पास की जिंदगियों को पन्नो पर उकेरना पसंद है । ज्यादा कुछ है नहीं कहने को अपने बारे में , जो भी लिखती हूँ आपको अच्छा लगे उम्मीद करती हूँ। कृपया मेरी रचना पसंद आए तो बताएं जरूरी प्रोत्साहन के लिए लाइक कमेंट करते रहें। Insta id ishq_life U can contact me on [email protected] follow me on Instagram world_from_my_lens20

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Vijay Kumar Soni
    10 ಫೆಬ್ರವರಿ 2019
    बड़ा तो जीवन ही है, पर कदर नहीं होती जीते जी, परिदृश्य अच्छे बन पड़े हैं, सही विवेचना
  • author
    अंक मौर्या
    10 ಡಿಸೆಂಬರ್ 2018
    वाह... अन्त बेहद ही मार्मिक और झकझोर कर रख देने वाला।।। किसी की दो पंक्तियां याद आ रही- तेरे ठोकर के बावजूद मैं गिर के खड़ा हो गया देख जिंदगी,आज मेरा कद तुझसे भी बड़ा हो गया ❤ आप बहुत बढ़िया लिखतीं हो।।
  • author
    डॉ. पूनम बनर्जी
    29 ಮಾರ್ಚ್ 2022
    asal mein mout ke baad uski arthi uthane jao to log jyada dhyan dete hain aur uski tarif karte hain, ye matter main bhi dekh chuki hun isliye bata sakti hun
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Vijay Kumar Soni
    10 ಫೆಬ್ರವರಿ 2019
    बड़ा तो जीवन ही है, पर कदर नहीं होती जीते जी, परिदृश्य अच्छे बन पड़े हैं, सही विवेचना
  • author
    अंक मौर्या
    10 ಡಿಸೆಂಬರ್ 2018
    वाह... अन्त बेहद ही मार्मिक और झकझोर कर रख देने वाला।।। किसी की दो पंक्तियां याद आ रही- तेरे ठोकर के बावजूद मैं गिर के खड़ा हो गया देख जिंदगी,आज मेरा कद तुझसे भी बड़ा हो गया ❤ आप बहुत बढ़िया लिखतीं हो।।
  • author
    डॉ. पूनम बनर्जी
    29 ಮಾರ್ಚ್ 2022
    asal mein mout ke baad uski arthi uthane jao to log jyada dhyan dete hain aur uski tarif karte hain, ye matter main bhi dekh chuki hun isliye bata sakti hun