इश्क़ करके हम बस ये सिखे ,लोग किसी के लिये नही रुकते..और इश्क़ मैं तोह हम लेख़क ही बने हुऐ थे,पर अब उनके लिये नही खुद के लिए लिखते है...प्रतिलिपि को बहुत शुक्रिया कहना चाहूँगा कि एक सही जगह दिखाया।कोशिस होगी अच्छे लिखने की।
सारांश
इश्क़ करके हम बस ये सिखे ,लोग किसी के लिये नही रुकते..और इश्क़ मैं तोह हम लेख़क ही बने हुऐ थे,पर अब उनके लिये नही खुद के लिए लिखते है...प्रतिलिपि को बहुत शुक्रिया कहना चाहूँगा कि एक सही जगह दिखाया।कोशिस होगी अच्छे लिखने की।
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